प्रख्यात साहित्यकार हस्तीमल हस्ती नहीं रहे. सोमवार 24 जून को 78 वर्ष की आयु में उनका निधन मुंबई में हुआ. हस्तीमल हस्ती का जन्म 11 मार्च 1946 को राजस्थान के राजसमंद जिले के आमेट शहर में हुआ था. उनकी अंतिम यात्रा आज 25 जून की सुबह 11:00 बजे उनके निवास 502 करण, यात्रा होटल के पास भूमि टॉवर के सामने, प्रभात कालोनी सांताक्रूज पूर्व से निकलेगी.
हस्तीमल हस्ती पिछले 5 दशक से मुंबई में सक्रिय रहकर साहित्य सेवा में लगे थे. वे अपने खर्च से 'युगीन काव्य' नाम की त्रैमासिक पत्रिका निकालते रहे. इनकी लिखी कई गजलें जगजीत सिंह और पंकज उधास ने गाई हैं. जगजीत सिंह की गाई गजल 'प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है' हस्तीमल हस्ती की ही लिखी हुई है. हस्तीमल हस्ती ने लिखा था 'उसका साया घना नहीं होता, जिसकी गहरी जड़ें नहीं होती'. इसी तरह के अनुभव उनकी गजलों में झलकते रहे हैं. उनकी लिखी एक गजल के कुछ शेर पर गौर फरमाएं -
वो भी चुप-चाप है इस बार ये क़िस्सा क्या है
तुम भी ख़ामोश हो सरकार ये क़िस्सा क्या है
सिर्फ़ नफ़रत ही थी मेरे लिए जिन के दिल में
हो गए वो भी तरफ़-दार ये क़िस्सा क्या है
बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए
उन से बन जाते हैं हथियार ये क़िस्सा क्या है
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जाहिर है, हस्तीमल हस्ती की गजलें उनके जीवन का निचोड़ होती थीं. हस्तीमल के निधन पर शोक प्रकट करते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट X (पहले ट्विटर) पर डॉ. कुमार विश्वास ने लिखा 'प्यार से सरोबार सादा तबीयत इंसान और बेहद सादा लफ़्ज़ों में कमाल कह देने का हुनर रखने वाले हस्तीमल हस्ती नहीं रहे. मूलतः राजस्थान के रहने वाले हस्तीमल जी मुंबई में गहनों का व्यापार करते थे. एक-एक नगीने को, हीरे को सही जगह जमाकर उसे जगमगाता आभूषण बनाने की हुनरमंदी ने ही शायद उन्हें शब्दों को बरतने की बेहतरीन क़ाबलियत बख्शी थी. जगजीत सिंह से लेकर हर बड़े गायक ने उनके खूबसूरत लफ़्ज़ों के जिस्म को गायकी की रूह अता की थी. गाहे-बगाहे किसी-किसी मिसरे पर देर तक बतियाने के लिए आने वाले उनके कॉल का ताउम्र अब बस इंतज़ार ही रहेगा. अज्ञात अनंत के उनके लंबे सफ़र के लिए हम सब अदीबों की ओर से उन्हें सादर शुभकामनाएँ. क्यूँकि बक़ौल ख़ुद हस्तीमल जी
“जिस्म की बात नहीं है उनके दिल तक जाना था,
लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है..।”
अलविदा शायर ए ज़माना