नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में सोमवार को भी किताबों के लोकार्पण और संवादों का सिलसिला जारी रहा. प्रकाशक अपने-अपने लेखकों से पाठकों का संवाद कराते रहे. रविवार के मुकाबले पुस्तक मेले में सोमवार को कम पुस्तक प्रेमी रहे.
राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में ‘लेखक से मिलिए’ सत्र में वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा से संवाद के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ. इसके बाद सॉनेट मंडल के कविता संग्रह 'लौटती दोपहरें', नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह 'सुनहरी उंगलियाँ', अदनान कफील दरवेश के कविता संग्रह 'नीली बयाज' और चंचल चौहान की किताब 'साहित्य का दलित सौंदर्यशास्त्र' का लोकार्पण हुआ. वहीं बलजिंदर नसराली के पंजाबी भाषा से अनूदित उपन्यास 'अम्बर परियाँ' पर बातचीत हुई.
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तीसरे दिन वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स ) के 'वाणी साहित्य-घर-उत्सव’ में डॉ. मनमोहन वैद्य की किताब 'We and The World Around' पर परिचर्चा हुई. यहीं विजयराजामल्लिका की हिंदी में अनूदित पुस्तक 'मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है' का लोकार्पण हुआ. सोमवार को डॉ. सुनील कुमार शर्मा की दो किताबों - 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: एक अध्ययन' और 'चैट जीटीपी: एक अध्ययन' का भी लोकार्पण हुआ. 'वाणी साहित्य-घर-उत्सव’ में तीसरे दिन श्रीप्रकाश शुक्ल की किताब 'रेत में आकृतियाँ' पर परिचर्या हुई. इसमें बतौर वक्ता कमलेश वर्मा और मदन कश्यप मौजूद थे जबकि संचालन अमरजीत राम ने किया. इन सबके अलावा गायक, संगीतकार और कवयित्री चिन्मयी त्रिपाठी की किताब 'अपनी कही' पर सवाल-जवाब हुआ. संवाद की जिम्मेवारी वाणी प्रकाशन की ओर अदिति माहेश्वरी ने निभाई.
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राजपाल एंड संस के स्टाल पर सोमवार दोपहर रवि ऋषि की पुस्तक 'अखबार में फोटो' का लोकार्पण हुआ. इस किताब पर वरिष्ठ कथाकार अलका सिन्हा, व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय और कथाकार बलराम ने चर्चा की. मीरा जौहरी ने वक्ताओं और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया. हिन्द युग्म के स्टॉल पर लेखिका उपासना की आनेवाली किताब 'शहर पत्थर सेहर क़िस्सा' का कवर लॉञ्च किया गया.
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बोधि प्रकाशन के स्टॉल पर कुल 7 लेखकों की 8 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. लोकार्पित पुस्तकों में डॉ. निधि अग्रवाल की 'कोई फ्लेमिंगो कभी नीला नहीं होता', नरेश गुर्जर की 'मन-आकाश', संदीप गौड़ की 'कम शब्दों का आदमी', नीरू मित्तल 'नीरट की 'कोहरे से झांकती धूप', सूरज महेश्वरी की 'अक्षर सूरज के', पूनम प्रकाश की 'सहराओं में पानी लाओ' और शिखा भारद्वाज की 'नीरा' व 'अधूरी ख्वाहिशें' रहीं.
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