हज़रत जौन एलिया साहब की 92वीं सालगिरह पर जवाहर भवन दिल्ली में अदबी महफ़िल

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 18, 2023, 02:38 PM IST

जौन एलिया के जन्मदिन पर दिल्ली में महफिल सजी.

Jaun Elia Birth Anniversary: जौन एलिया के जन्मदिन के मौके पर दिल्ली के जवाहर भवन में महफिल सजाई गई. यह आयोजन नया एहसास फाउंडेशन और दिल्ली शायरी क्लब के साझा कोशिशों से किया गया.

डीएनए हिंदी : हज़रत जौन एलिया की यौम ए पैदाइश पर दिल्ली के जवाहर भवन में महफिल सजाई गई. यह आयोजन नया एहसास फाउंडेशन और दिल्ली शायरी क्लब के साझा कोशिशों से किया गया. महफ़िल को दो हिस्सों में बांटा गया था. पहले हिस्से में मक़बूल शायर जनाब फरहत एहसास साहब, नौजवान शायर जनाब आकाश अर्श साहब और सीमा भारद्वाज साहिबा ने जौन एलिया पर गुफ़्तगू की. 
दूसरे हिस्से में एक मुशायरा हुआ, जिसमें जनाब फरहत एहसास साहब, जनाब विकास शर्मा राज़, जनाब तरकश प्रदीप, मोहतरमा पूनम मीरा, जनाब विकास राणा, जनाब राहुल झा, जनाब आकाश अर्श, जनाब हरीश कुमार, मोहतरमा मनीषा श्रीवास्तव, जनाब योगेंद्र त्यागी और जनाब गुलशन मेहरा ने अपने-अपने कलाम पढ़े.  'जौन सी' मोहतरमा सीमा भारद्वाज साहिबा जो कि ख़ुद को उनकी मद्दाह मानती हैं, हर साल उनकी यौम-ए-पैदाइश पर कुछ साथियों के साथ मिल कर उनकी याद में एक महफ़िल सजाती हैं.

बता दें कि नई पीढ़ी के पसंदीदा और मशहूर शायर जौन एलिया 14 दिसंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा शहर में पैदा हुए और 8 नवंबर 2003 में इनका इन्तिक़ाल हो गया. जौन साहब के जाने के बाद उनकी शायरी में लोगों की दिलचस्पी ख़ूब बढ़ी है और हिंदी में उनका काफ़ी तर्जुमा हुआ है. अपने आज़ाद ख़याल और ग़ैर-रिवायती अंदाज़ के लिए मशहूर जौन साहब ने हालिया दौर की शायरी में एक अलग मक़ाम हासिल किया. बचपन से ही जौन साहब का इल्म और अदब से गहरा राब्ता रहा. इन्हें 6 ज़बानों में इल्म हासिल था - ऊर्दू , अरबी, फ़ारसी , हिब्रू , संस्कृत और अंग्रेज़ी. हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे का जौन को गहरा सदमा रहा. हिजरत का ये दर्द उनकी शायरी में भी दिखाई देता. उर्दू अदब में मक़बूल होने के साथ-साथ जौन, शायरी के शौक़ीन लोगों और नौजवानों के दिलों पे छाए रहते हैं. इंटरनेट के दौर में और ख़ासकर आजकल के सोशल मीडिया के ज़माने में न जाने कितने ही पेज, वेबसाइट और चैनल जौन साहब के कलाम को साझा कर रहे हैं. उनके दीवानों की ता'दाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

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