Phoswal Literature Festival 2023: दिल्ली में शुरू हुआ चार दिनी महोत्सव, वक्ता बोले- वैश्विक ईश्वर न हिंदू था न मुसलमान

अनुराग अन्वेषी | Updated:Dec 03, 2023, 09:32 PM IST

फोसवाल महोत्सव में कई किताबों का लोकार्पण भी किया गया.

SAARC Writers: भक्ति, सूफी और बौद्ध धर्म पर प्रो हरबंस मुखिया, केटीएस राव और शैल मायरा ने अपने विचार रखे. प्रो मुखिया ने कहा, 'भक्तिकाल के कवि कबीर ने एक वैश्विक ईश्वर से हमारा परिचय करवाया. वह ईश्वर न हिंदू था न मुसलमान. उन्होंने प्रथाओं और लोगों के संकुचित विचारों में जकड़े ईश्वर को मुक्त किया.'

डीएनए हिंदी : नई दिल्ली में चार दिनी फोसवाल महोत्सव का आगाज रविवार को हुआ. 'फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर' द्वारा आयोजित इस महोत्सव का आयोजन अकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के सभागार में किया जा रहा है. इस आयोजन का मकसद सार्क देशों के कला और साहित्य को एक मंच पर लाना है.
आज के कार्यक्रम की शुरुआत लेखा भगत ने स्वागत गीत से किया. 'फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर'  की चेयरपर्सन पद्मश्री अजीत कौर ने अपने स्वागत भाषण में कहा, 'सार्क देशों की सीमाओं के मध्य हम सिर्फ नदियां, समुद्र और मॉनसून ही नहीं बांटते बल्कि अपनी सभ्यताओं की यात्राएं भी एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं.' इस समय हो रहे दो युद्धों के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'युद्ध से हर संवेदनशील व्यक्ति आहत है. आम आदमी शांति से रहना चाहता है. युद्ध केवल विनाश और दुख के निशान छोड़ते हैं.'

वैश्विक ईश्वर की पहचान

इसके बाद भक्ति, सूफी और बौद्ध धर्म पर प्रो हरबंस मुखिया, केटीएस राव और शैल मायरा ने अपने विचार रखे. प्रो मुखिया ने कहा, 'भक्तिकाल के कवि कबीर ने एक वैश्विक ईश्वर से हमारा परिचय करवाया. वह ईश्वर न हिंदू था न मुसलमान. उन्होंने प्रथाओं और लोगों के संकुचित विचारों में जकड़े ईश्वर को मुक्त किया.'
सूफीवाद पर बोलते हुए शैल मायरा ने शरमद शहीद का किस्सा सुनाया और कहा, 'दिल्ली इसलिए पवित्र नहीं है कि यहां हर धर्म को मानने वाले रहते हैं बल्कि इसलिए कि यह दारा, शरमद, गुरुतेग बहादुर और महात्मा गांधी जैसे शहीदों के लहू से नहाई है.'

युद्धों के असर पर चर्चा

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वर्तमान में चल रहे दो युद्धों इजरायल-हमास, और यूक्रेन-रूस  पर चर्चा हुई. इसमें नेपाल के सुप्रसिद्ध लेखक, कवि अभी सुबेदी, भारत के एमएल लाहोटी, एचएस फूलका और जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर एनएन वोहरा ने हिस्सा लिया. वोहरा ने कहा, 'युद्ध में मानवीय और आर्थिक क्षति से कहीं ज्यादा सभ्यता की हानि होती है, जो देश को कई साल पीछे ले जाता है.' एमएल लाहोटी ने युद्धों के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की सार्थकता पर प्रश्न उठाया. उन्होंने कहा, 'युद्धों से शांति भंग होती है और जब शांति  भंग होती है तो कला और संस्कृतियां भी नष्ट होने लगती हैं.' एचएस फूलका ने कहा, 'युद्ध कहीं भी हो उससे दुनिया का हर कोना प्रभावित होता है क्योंकि दुनिया अब ग्लोबल विलेज बन चुकी है.' इस बारे में अभी सुबेदी के विचार में, 'युद्ध में हुआ विनाश इतना भयानक है कि पीढ़ियों के पास कुछ याद करने को नहीं बचता. असल में कोई याद करने वाला ही नहीं बचता.'

इसे भी पढ़ें : DNA Kavita Sahitya: फिल्म लेखक-निर्देशक अविनाश दास की जीवन को छूतीं टटकी कविताएं

कविता पाठ

भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने साहित्य के लिए कई दशकों से कार्य कर रही संस्था एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर की प्रशंसा की. कार्यक्रम के अगले सत्र में कविता पाठ का आयोजन हुआ. बांग्लादेश के कवि डॉ बिमल गुहा और डॉ अशरफ जेवेल और भारत से डॉ मंदिरा घोष, प्रोफेसर कल्याणी राजन, प्रोफेसर नंदिनी साहू, पांखुरी शुक्ला और डॉक्टर अमरेंद्र खटुआ ने जीवन के विविध अनुभवों पर आधारित कविताएं पढ़ीं. नंदिनी साहू ने  कोरोना काल की कविताओं का पाठ किया.

इसे भी पढ़ें : DNA Katha Sahitya: प्रेम-त्याग के रेशे से बुनी अर्चना सिन्हा की कहानी अपराधमुक्ति

उपन्यास अंश का पाठ

कार्यक्रम में उपन्यास अंश का पाठ भी हुआ. जिनमें श्रीलंका से आए प्रोफेसर सामंथा इलैंग्कून और डॉक्टर निपुनिका दिलानी और बांग्लादेश के प्रोफेसर मंजूरुल इस्लाम, नेपाल के संतोष कुमार पोखरेल ने हिस्सा लिया. आखिरी सत्र में पुनः कविता पाठ किया गया. इस सत्र में कविता पाठ करने वाले प्रतिभागियों में नेपाल की संस्कृति दुवाड़ी, बांग्लादेश की सौम्या सलेक, श्रीलंका के के. श्रीगणेशन, भूटान के डॉक्टर रिनजीन रिनजीन और भारत की गायत्री मजूमदार, किंशुक गुप्ता व सीमा जैन शामिल हुईं. बता दें कि सार्क के गठन के एक साल बाद 1987 में सार्क साहित्य महोत्सव शुरू हुआ था. लेखिका अजीत कौर ने सबसे पहले फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर की ओर से महोत्सव का आयोजन किया था. तब से वे लगातार सार्क देशों के लेखकों को एक मंच पर लाने में कामयाब रही हैं. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Hindi Literature Hindi Sahitya Literature