गीता प्रेस, गोरखपुर की ढाई लाख से ज्यादा पुस्तकें विश्व पुस्तक मेले में महज दो दिनों में बिक गईं. शनिवार और रविवार को जबर्दस्त पाठक आए थे. स्टॉल पर पांव रखने तक की जगह नहीं थी. ये बातें गीता प्रेस, दिल्ली क्षेत्र के प्रशासक रवि खरकिया ने कहीं.
रवि खरकिया ने बताया कि दोनों दिन प्रगति मैदान में पुस्तक प्रेमियों की जबर्दस्त भीड़ उमड़ी. पाठकों की डिमांड के सामने हमारी स्टॉल की अधिकतर किताबें कम पड़ गईं. हमें किताबों की नई लॉट मंगानी पड़ी है.
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रवि खरकिया ने अपने पिछले अनुभवों के आधार पर कहा कि सनातन धर्म के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ रहा है. इस बार पुस्तक मेले में युवा पीढ़ी के पाठक रामचरित मानस, गीता, भागवत, पुराण और अध्यात्म की किताबें तलाश करते नजर आए. उन्होंने कहा कि इन युवाओं से हमने पूछा भी कि एक दौर में धार्मिक और अध्यात्मिक किताबें तो बड़े-बूढ़ों के मतलब की मानी जाती थीं, आप सब ये किताबें क्यों तलाश रहे. खरकिया के मुताबिक, युवाओं ने कहा कि आत्मबोध के लिए हम ये पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं, हम अपनी संस्कृति को समझना चाहते हैं, हम समाज में चल रही मिथ्या को दूर करना चाहते हैं.
रवि खरकिया ने कहा कि ये राम मंदिर निर्माण के बाद कॉलेज के छात्रों और युवाओं में भी धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है. वे अपनी संस्कृति से जुड़ रहे हैं. खरकिया ने बताया कि रविवार को तो हालत कमाल की थी. यहां पांव रखने की भी जगह नहीं थी. सुबह हमलोग यहां आए थे और रात में 8-8:30 में यहां से जा सके. हमारे यहां आने वाले कॉलेज के युवा हों या छात्र हों या फिर बड़े-बुजुर्ग सारे लोग धर्म और अध्यात्म की किताबें खरीद रहे थे. रामचरित मानस से लेकर शिव स्त्रोत तक की डिमांड होती रही. खरकिया ने बताया कि रामचरित मानस यहां सबसे ज्यादा बिकी. अभी इसका नया संस्करण आया है.
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