DNA Lit में पढ़ें चर्चित रूसी कहानी गिरगिट की पहली किस्त

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Feb 01, 2024, 08:00 AM IST

अंतोन चेखव की कहानी गिरगिट की पहली किस्त.

Famous Russian Story Girgit: अंतोन चेखव रूसी कथाकार हैं. उनकी कहानियों खूब लोकप्रिय रही हैं. कहानी कहन की धार जबर्दस्त होती है. 'गिरगिट' उनकी चर्चित कहानियों में से एक है. DNA Lit में आज पढ़ें रूसी कहानी गिरगिट.

डीएनए हिंदी : अंतोन चेखव (29 जनवरी 1860 - 15 जुलाई 1904) रूसी कथाकार, उपन्यासकार और नाटककार रहे. उनकी कहानियां विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं. चेखव अपने साहित्यिक जीवन के दिनों में ज्यादातर वक्त बतौर चिकित्सक बिताया. चेखव की कहानियों में सामाजिक कुरीतियों पर करारा व्यंग्य रहता है. गिरगिट कहानी में भी पुलिसया चरित्र उभर कर सामने आता है. पढ़ें गिरगिट कहानी की पहली किस्त :

गिरगिट (पहली किस्त)

पुलिस का दारोगा ओचुमेलोव नया ओवरकोट पहने, हाथ में एक बंडल थामे बाजार के चौक से गुजर रहा है. लाल बालों वाला एक सिपाही हाथ में टोकरी लिये उसके पीछे-पीछे चल रहा है. टोकरी जब्त की गई झड़बेरियों से ऊपर तक भरी हुई है. चारों ओर खामोशी... चौक पर एक भी आदमी नहीं... दुकानों व शराबखानों के भूखे जबड़ों की तरह खुले हुए दरवाजे ईश्वर की सृष्टि को उदासी भरी निगाहों से ताक रहे हैं. यहां तक कि कोई भिखारी भी आसपास दिखाई नहीं देता है.

''अच्छा! तो तू काटेगा? शैतान कहीं का!'' ओचुमेलोव के कानों में सहसा यह आवाज आती है. ''पकड़ लो, छोकरो! जाने न पाए! अब तो काटना मना है! पकड़ लो! आ...आह!''

कुत्ते के किकियाने की आवाज सुनाई देती है. ओचुमेलोव मुड़ कर देखता है कि व्यापारी पिचूगिन की लकड़ी की टाल में से एक कुत्ता तीन टांगों से भागता हुआ चला आ रहा है. एक आदमी उसका पीछा कर रहा है – बदन पर छीट की कलफदार कमीज, ऊपर वास्कट और वास्कट के बटन नदारद. वह कुत्ते के पीछे लपकता है और उसे पकड़ने की कोशिश में गिरते-गिरते भी कुत्ते की पिछली टांग पकड़ लेता है. कुत्ते की कीं-कीं और वही चीख – ''जाने न पाए!'' दोबारा सुनाई देती है. ऊंघते हुए लोग गरदनें दुकनों से बाहर निकाल कर देखने लगते हैं, और देखते-देखते एक भीड़ टाल के पास जमा हो जाती है. मानो जमीन फाड़ कर निकल आई हो.

''हुजूर! मालूम पड़ता है कि कुछ झगड़ा-फसाद है!'' सिपाही कहता है.

ओचुमेलोव बाईं ओर मुड़ता है और भीड़ की तरफ चल देता है. वह देखता है कि टाल के फाटक पर वही आदमी खड़ा है, जिसकी वास्कट के बटन नदारद हैं. वह अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाए भीड़ को अपनी लहूलुहान उंगली दिखा रहा है. उसके नशीले चेहरे पर साफ लिखा लगता है, ''तुझे मैंने सस्ते में न छोड़ा, साले!'' और उसकी उंगली भी जीत का झंडा लगती है. ओचुमेलोव इस व्यक्ति को पहचान लेता है. वह सुनार ख्रूकिन है. भीड़ के बीचोंबीच अगली टांगें पसारे, अपराधी – एक सफेद ग्रेहाउंड पिल्ला, दुबका पड़ा, ऊपर से नीचे तक कांप रहा है. उसका मुंह नुकीला है और पीठ पर पीला दाग है. उसकी आंसू भरी आंखों में मुसीबत और डर की छाप है.

''क्‍या हंगामा मचा रखा है यहां?'' ओचुमेलोव कंधों से भीड़ को चीरते हुए सवाल करता है, ''तुम उंगली क्यों ऊपर उठाए हो? कौन चिल्ला रहा था?''

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''हुजूर! मैं चुपचाप अपनी राह जा रहा था,'' ख्रूकिन अपने मुंह पर हाथ रखकर खांसते हुए कहता है. मित्री मित्रिच से मुझे लकड़ी के बारे में कुछ काम था. एकाएक, मालूम नहीं क्यों, इस कमबख्त ने मेरी उंगली में काट लिया... हुजूर माफ करें, पर मैं कामकाजी आदमी ठहरा... और फिर हमारा काम भी बड़ा पेचीदा है. एक हफ्ते तक शायद मेरी यह उंगली काम के लायक न हो पाएगी. मुझे हरजाना दिलवा दीजिए. और, हुजूर, यह तो कानून में कहीं नहीं लिखा है कि ये मुए जानवर काटते रहें और हम चुपचाप बरदाश्त करते रहें... अगर हम सभी ऐसे ही काटने लगें, तब तो जीना दूभर हो जाए...''

कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त

कहानी गिरगिट की तीसरी किस्त

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