DNA Lit में पढ़ें चर्चित रूसी कहानी गिरगिट की अंतिम किस्त

अनुराग अन्वेषी | Updated:Feb 01, 2024, 08:10 AM IST

अंतोन चेखव की कहानी गिरगिट की अंतिम किस्त.

Famous Russian Story Girgit: अंतोन चेखव की कहानियां अपने चुटीले तेवर के लिए जानी जाती हैं. गिरगिट कहानी में इतने नाटकीय तत्त्व हैं कि इसका मंचन कई बार हो चुका है. इसे नुक्कड़ नाटक के रूप में भी लोगों ने खूब सराहा है. गिरगिट कहानी की दो किस्तें आप पढ़ चुके हैं. आज ये है गिरगिट कहानी की अंतिम किस्त.

डीएनए हिंदी : रूसी कहानी गिरगिट की दूसरी किस्त में आपने पढ़ा कि ख्रुकिन को जिस सफेद ग्रेहाउंड पिल्ले ने काट लिया था, वह जनरल झिगालोव का है या किसी और का - दारोगा ओचुमेलोव यह तय नहीं कर पा रहा है. उसका यह कन्फ्यूजन उसके चरित्र को बार-बार बदल दे रहा है. कभी वह ख्रूकिन को हरजाना दिलवाने के पक्ष में दिखता है तो अगले पल यह सुनते ही कि कुत्ता जनरल जिगालोव का है- उसका स्टैंड बदल जाता है और वह ख्रूकिन को ही दोषी ठहराने लगता है. उसके पल-पल रंग बदलते चरित्र के कारण ही इस कहानी का नाम 'गिरगिट' रखा गया. आज तीसरी और अंतिम किस्त में पढ़ें कि आखिरकार दारोगा ख्रुकिन को न्याय दिला पाया या वह जनरल जिगालोव के पाले में जा दुबका. 

गिरगिट (तीसरी किस्त)

"हुंह... येल्दीरिन, जरा मुझे कोट तो पहना दो... हवा चल पड़ी है, मुझे सरदी लग रही है... कुत्ते को जनरल साहब के यहां ले जाओ और वहां मालूम करो. कह देना कि इसे सड़क पर देख कर मैंने वापस भिजवाया है... और हां, देखो, यह भी कह देना कि इसे सड़क पर न निकलने दिया करें... मालूम नहीं कितना कीमती कुत्ता हो और अगर हर बदमाश इसके मुंह में सिगरेट घुसेड़ता रहा, तो कुत्ता तबाह हो जाएगा. कुत्ता बहुत नाजुक जानवर होता है... और तू हाथ नीचा कर, गधा कहीं का! अपनी गंदी उंगली क्यों दिखा रहा है? सारा कुसूर तेरा ही है...
"यह जनरल साहब का बावर्ची आ रहा है, उससे पूछ लिया जाए. ए प्रोखोर! इधर तो आना भाई! इस कुत्ते को देखना, तुम्हारे यहां का तो नहीं है?"
"अमां वाह! हमारे यहां कभी भी ऐसे कुत्ते नहीं थे!"

"इसमें पूछने की क्या बात थी? बेकार वक्त खराब करना है," ओचुमेलोव कहता है, "आवारा कुत्ता है. यहां खड़े-खड़े इसके बारे में बात करना समय बरबाद करना है. कह दिया न आवारा है, तो बस आवारा ही है. मार डालो और काम खत्म!"
"हमारा तो नहीं है" प्रोखोर फिर आगे कहता है, "पर यह जनरल साहब के भाई साहब का कुत्ता है. उनको यह नस्ल पसन्द है..."
"क्‍या? जनरल साहब के भाई साहब आए हैं? व्लीदीमिर इवानिच?" अचम्भे से ओचुमेलोव बोल उठता है, उसका चेहरा आह्लाद से चमक उठता है.


"जरा सोचो तो! मुझे मालूम भी नहीं! अभी ठहरेंगे क्या?"
"हां..."

"जरा सोचो, वह अपने भाई से मिलने आए हैं... और मुझे मालूम भी नहीं कि वह आए हैं. तो यह उनका कुत्ता है? बड़ी खुशी की बात है. इसे ले जाओ... कुत्ता अच्छा... और कितना तेज है... इसकी उंगली पर झपट पड़ा! हा-हा-हा... बस-बस, अब कांप मत. गुर्र-गुर्र... शैतान गुस्से में है... कितना बढ़िया पिल्ला है..."

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प्रोखोर कुत्ते को बुलाता है और उसे अपने साथ ले कर टाल से चल देता है. भीड़ ख्रूकिन पर हंसने लगती है.

"मैं तुझे ठीक कर दूंगा" ओचुमेलोव उसे धमकाता है और अपना ओवरकोट लपेटता हुआ बाजार के चौक के बीच अपने रास्ते चल देता है.

कहानी 'गिरगिट' की पहली किस्त
कहानी 'गिरगिट' की दूसरी किस्त

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