नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 के पहले दिन शनिवार को लगभग 1 लाख 50 हजार पाठकों की भीड़ जुटी. पुस्तक मेले के अलग-अलग हॉल सभी को आकर्षित कर रहे थे. हॉल नंबर 3 के बालमंडप में दिन भर रौनक रही. यहां बच्चों के लिए तरह-तरह की रचनात्मक और मनोरंजक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. हॉल नंबर 5 में अलग-अलग भाषाओं के शब्दों के साथ लोग सेल्फी लेते नजर आए.
पुस्तक मेले के लेखक मंच में पहला सत्र 'हिंदी कविताओं का महत्व, आज के परिप्रेक्ष्य में' आयोजित किया गया. इसमें बतौर वक्ता विनोद कुमार, डॉ. रुचि गौतम पंत, ऐश्वर्या तिवारी ने अपने विचार रखे. इस सत्र का संचालन प्रशांत गुप्ता ने किया.
हॉल नंबर 5 में बनाया गया है ऑथर्स कॉर्नर. पहले दिन यहां दो अलग-अलग सत्रों में दो पुस्तकों का विमोचन किया गया. पहले सत्र में पेटल्स पब्लिशर्स से प्रकाशित पुस्तक ‘द गुड द बैड, द साइबर बुद्धा’ का लोकार्पण किया गया. जबकि दूसरे सत्र में नोशल प्रेस पब्लिशर्स से छपी पुस्तक 'स्टार्ट-अप, एक्जापिंल्स एंड एक्टिविटिज' का लोकार्पण किया गया.
राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में ‘बहुभाषिकता का सुख’ विषय पर परिचर्चा हुई. इस पहले सत्र में अशोक वाजपेयी, अब्दुल बिस्मिल्लाह, जानकीप्रसाद शर्मा, हरीश त्रिवेदी, पंकज चतुर्वेदी और शिवांगी बतौर वक्ता मौजूद रहे, जबकि सत्र का संचालन मृत्युंजय ने किया. दूसरे सत्र में यहीं पत्रकार और लेखक अरविंद मोहन की जातियों का लोकतंत्र शृंखला की 3 किताबों 'जाति और चुनाव', 'जाति और आरक्षण' और 'जाति और राजनीति' का लोकार्पण एक साथ हुआ. जलसाघर में आयोजित तीसरे सत्र में तीन कवियों - मंगलेश डबराल, ओमप्रकाश वाल्मीकि और कुमार विकल - की संपूर्ण कविताओं के संग्रह लोकार्पित हुए. इस सत्र में अल्मा डबराल, गंगा सहाय मीणा, मदन कश्यप, विष्णु नागर, डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी और प्रो. रविकांत मौजूद रहे. जलसाघर में युवा कवि जंसिता केरकेट्टा की प्रेम कविताओं के संग्रह ‘प्रेम में पेड़ होना’ का लोकार्पण हुआ. यहीं उपन्यास 'मृत्यु और हंसी' पर देवेश ने लेखक प्रदीप अवस्थी से उपन्यास के कथानक पर बातचीत की. इसके अलावा कबीर संजय के कहानी संग्रह ‘फेंगशुई’ पर चर्चा हुई.
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वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स) के 'वाणी साहित्य-उत्सव’ में कविता-संग्रह 'निमित्त नहीं' पर द्विपक्षीय चर्चागोष्ठी हुई. कवि व पत्रकार प्रियदर्शन के साथ वरिष्ठ कवयित्री सुमन केशरी का संवाद हुआ. यहीं दिव्या माथुर की किताबों 'इक सफ़र साथ-साथ', 'शामभर बातें', 'तिलिस्म' पर परिचर्चा हुई. प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, प्रो. सत्यकेतु सांकृत, अनिल जोशी, प्रत्यक्षा आदि चर्चा में बतौर वक्ता मौजूद रहे.
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रही. दिल्ली पब्लिक स्कूल के 51 स्टूडेंट्स के समूह ने सरस्वती वंदना ‘जय सरस्वती वर दे महारानी’ की लय पर सामूहिक सितार वादन पेश किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत सऊदी अरब के उबैया ग्रुप ने खुबैची नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया. खेल तमाशा थियेटर ग्रुप ने 'नजीर कथा कीर्तन' और 'महादेव का ध्यान' पेश किया.
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