नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में रविवार को एआई एस्ट्रोलॉजर के पास जबर्दस्त भीड़ दिखी. हर कोई लालायित था अपना भविष्य जानने के लिए. वैसे तो पुस्तक मेले में साहित्यकारों, पत्रकारों और पुस्तक प्रेमियों का भी जबर्दस्त जुटान हुआ. दिन भर कई पुस्तकों के लोकार्पण हुए, परिचर्चाएं हुईं और वाद-संवाद के कार्यक्रम हुए. पुस्तक प्रेमियों ने अपनी पसंद की किताबों की खरीदारी भी जमकर की.
पुस्तक प्रेमियों का जुनून ऐसा था कि कोई अपने बच्चों को स्ट्रोलर पर लेकर मेले में पहुंचा था तो कोई अपने वृद्ध माता-पिता को व्हील चेयर के सहारे विश्व पुस्तक मेले की सैर कराता दिखा. कोई एआई एस्ट्रोलॉजर से अपने भविष्य की जानकारी जुटाता दिखा तो कोई मेले में घूम-घूमकर थका-मांदा सुस्ताता दिखा.
रविवार को पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने अपनी साहित्यिक यात्रा पर बातचीत की. उन्होंने बताया कि कैसे लाइब्रेरी ने किताबों के प्रति उनका प्यार जगाया. थीम मंडप में ही बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी के प्रसिद्ध कवि डॉ. दिविक रमेश, संस्कृत कवि आचार्य राम दत्त मिश्रा अनमोल, ओडिया कवि अनिता पांडे और असमिया कवि निर्देश निधि दीपिका दास ने अपनी-अपनी भाषाओं में काव्य-पाठ किया. लेखक मंच पर ही साहित्य अकादमी ने बहुभाषी युवा लेखक सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें असमिया भाषा में मिताली फूकन ने 'कैंसर' नामक कविता सुनाई. हिंदी के कवि विवेक मिश्र ने अपनी कविता 'बेटियां फूल लगती हैं' का पाठ किया. पंजाबी कहानीकार बलविंदर एस. बरार ने पंजाबी में 'जस्ट फ्रेंड' कहानी पढ़ी. मैथिली भाषा में रमन कुमार सिंह ने अपनी बात रखी. उर्दू गजलगो सालिम सलीम ने अपने अंदाज में शायरी सुनाई.
रविवार को प्रमोद कुमार अग्रवाल की 75वीं किताब 'माफिया' का विमोचन हुआ. राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में ‘भविष्य के पाठक’ विषय पर परिचर्चा हुई. इसमें अणु शक्ति सिंह, जय प्रकाश कर्दम, राकेश रेणु, विनोद तिवारी और तशनीफ हैदर बतौर वक्ता जुड़े. सत्र का संचालन मनोज कुमार पांडेय ने किया. प्रज्ञा के उपन्यास ‘काँधों पर घर’ के लोकार्पण और चर्चा में रोहिणी अग्रवाल, शंकर तथा भालचंद्र जोशी की विशिष्ट उपस्थिति रही. कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश कुमार ने किया.
यहीं अंकिता आनंद के कविता संग्रह ‘अब मेरी बारी’ का लोकार्पण हुआ.
जलसाघर में संजय काक ने लेखक नंदिनी ओझा से उनकी पुस्तक 'संघर्ष नर्मदा का' पर बातचीत की. यहीं रमेश कुमार पांडेय ने लेखक उत्कर्ष शुक्ला से उनके उपन्यास 'रहमानखेड़ा का बाघ' पर बातचीत की. किसान जीवन पर केंद्रित शिवमूर्ति के उपन्यास 'अगम बहै दरियाव' पर देवेश ने बातचीत की. 'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम में कथाकार चंद्रकांता से बातचीत की गई.
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वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स) के 'वाणी साहित्य-घर-उत्सव' में प्रतिष्ठित आलोचक शंभुनाथ, अजित राय, गरिमा श्रीवास्तव और भगवानदास मोरवाल की पुस्तकों के लोकार्पण व परिचर्चा के 5 सत्र हुए. शंभुनाथ की किताब 'इतिहास में अफवाह' के बारे में वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने कहा कि यह किताब सभी शोधार्थी, विद्यार्थी और आम लोगों को जरूर पढ़नी चाहिए. इस पुस्तक की चर्चा में डॉ. संजय जयसवाल, आलोचक वैभव सिंह और अजय तिवारी शामिल हुए.
प्रवीण कुमार झा की पुस्तक 'कुली लाइन्स' के अंग्रेज़ी अनुवाद (Coolie Lines) पर द्विपक्षीय परिचर्चा व लोकार्पण हुआ. पुस्तक की अनुवादक पूजा प्रियंवदा से अदिति माहेश्वरी ने सवाल-जबाव किए. यहीं अजित राय की किताब 'बॉलीवुड की बुनियाद' के लोकार्पण के साथ ही उस पर परिचर्चा हुई. इस परिचर्चा का मंजीत ठाकुर ने किया जबकि बतौर वक्ता विनोद श्रीवास्तव और जयप्रकाश पांडेय मौजूद रहे.
'वाणी साहित्य-घर-उत्सव' में ही भगवानदास मोरवाल की किताब 'काँस' का लोकार्पण हुआ. इस किताब पर जयप्रकाश पांडेय और प्रियदर्शन ने चर्चा की जबकि संचालन अंकित नरवाल ने किया. इसके बाद गरिमा श्रीवास्तव की किताब 'हिन्दी नवजागरण : इतिहास, गल्प और स्त्री-प्रश्न' का लोकार्पण हुआ. इस पर चर्चा करने के लिए मनीषा कुलश्रेष्ठ और जितेंद्र श्रीवास्तव मौजूद थे.
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पुस्तक मेले में राजपाल एंड संज के स्टॉल पर रविवार शाम इरा टाक की पुस्तक 'चौबीस छत्तीस जीरो वन' का लोकार्पण हुआ. इस पुस्तक पर वरिष्ठ कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ और जितेंद्र श्रीवास्तव ने चर्चा की. मीरा जौहरी ने आभार व्यक्त किया.
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