डीएनए हिंदी: साहित्य जगत में सबसे ज्यादा इंतजार साहित्य अकादेमी सम्मान का होता है. देश की 24 भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य की रचना करने वाले लेखकों को यह सम्मान दिया जाता है. इस कारण इन्हें भारतीय साहित्य का बेंचमार्क भी माना जाता है. इस साल के साहित्य अकादेमी पुरस्कारों की घोषणा बुधवार को कर दी गई है. साहित्य अकादेमी पुरस्कार इस साल संजीव (Sanjeev) को उनके उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए दिया जा रहा है. पिछले साल यह सम्मान जीतने का श्रेय बद्री नारायण के कविता संग्रह 'तुमड़ी के शब्द' को मिला था. विजेता के नाम की घोषणा साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित रवींद्र भवन में साहित्य अकादेमी मुख्यालय में की है. उन्होंने हिंदी भाषा के साथ ही अन्य भाषाओं के विजेताओं के भी नाम घोषित कर दिए हैं. इन सभी को यह सम्मान 12 मार्च 2024 को नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में दिया जाएगा.
पांच साल से पहली बार प्रकाशित पुस्तकों को मिल रहा सम्मान
इस बार पुरस्कार के लिए चुने गए साहित्य में 9 कविता संग्रह, 6 उपन्यास, 5 कहानी संग्रह, 3 निबंध और एक आलोचना शामिल है. खास बात ये है कि पिछले पांच साल का ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा है. इस बार भी पिछले पांच साल की तरह पहली बार प्रकाशित पुस्तकों को ही सम्मानित किया गया है.
ये हैं इस साल के पुरस्कार विजेता
विजेता को मिलता है एक लाख रुपये का सम्मान
साहित्य अकादेमी की स्थापना भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट रचनाओं के लेखकों बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1954 में की गई थी. अकादमी के पहले अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे. उनके साथ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सी. राजगोपालाचारी, केएम पानीक्कर, अबुल कलाम आजाद, केएम मुंशी, डीवी गुंडप्पा, उमाशंकर जोशी, जाकिर हुसैन, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर इसकी सामान्य परिषद के प्राथमिक सदस्य थे. साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता लेखक को हर साल ताम्र पत्र, शॉल और एक लाख रुपये की नकद धनराशि दी जाती है. सबसे पहली बार हिंदी भाषा में यह पुरस्कार माखन लाल चतुर्वेदी को उनके काव्य ‘हिमतरंगिनी’ के लिए मिला था.
गोपनीय तरीके से चुने जाते हैं विजेता
साहित्य अकादेमी पुरस्कारों के विजेता बेहद गोपनीय तरीके से चुने जाते हैं. इसके लिए चयन की एक स्पष्ट, लेकिन गोपनीय प्रक्रिया अपनाई जाती है. हर भाषा के विजेताओं को चुनने के लिए उस भाषा की अलग कमेटी चुनी जाती है. यह कमेटी सबसे पहले उस भाषा से जुड़े साहित्यकारों के आवेदनों की स्क्रूटनी करती है. इसके बाद उसमें से विजेता पुस्तक का चयन किया जाता है. इस बार हिंदी भाषा के लिए बनाए गए निर्णायक मंडल में लीलाधर जगूड़ी, नासिरा शर्मा और रामजी तिवारी शामिल थे.
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