'फीस भरने से चूकने पर अधर में नहीं छोड़ा जा सकता', दलित छात्र के एडमिशन के मामले में SC का बड़ा फैसला

Written By रईश खान | Updated: Sep 30, 2024, 05:20 PM IST

छात्र आखिरी दिन 24 जून को जब ऑनलाइन फीस भर रहा था तो अचानक सर्वर डाउन हो गया. इसकी वजह से वह फीस का भुगतान नहीं कर पाया और उसका एडमिशन रुक गया.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रहने वाले दलित छात्र अतुल के सपना उस समय चकनाचूर हो गया, जब वह IIT धनबाद में जगह बनाने में तो कामयाब रहा, लेकिन समय पर फीस नहीं भर पाने की वजह से उसका एडमिशन रुक गया. आईआईटी धनबाद ने दाखिला देने से इनकार कर दिया. इसके बाद छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने इस मामले में सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'शुल्क जमा करने की समय सीमा चूकने के कारण छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता. उच्चतम न्यायालय ने IIT धनबाद को फीस जमा करने की समय सीमा चूकने के कारण सीट गंवाने वाले दलित युवक को प्रवेश देने का निर्देश दिया है.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, 'हम एक ऐसे यंग टैलेंट को नहीं गंवा सकते. छात्र ने कानून शरण लेने के लिए झारखंड और मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन कहीं से राहत नहीं मिली. लेकिन अतुल ने हार नहीं मानी और आखिरी में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.'

क्या था पूरा मामला?
मुजफ्फरनगर के टिटोरी गांव में रहने वाले अतुल का 9 जून को JEE में अच्छी रैंक आने के बाद आईआईटी धनबाद में नंबर आ गया था. अतुल के पिता मजदूरी और जरूरत पड़ने पर दर्जी का काम करते हैं. बेटे का नंबर आने के बाद परिवार को बहुत खुश हुआ और एडमिशन की फीस के लिए गांववासियों से पैसे उधार मांगने में जुट गया. लेकिन समय पर वह पैसे नहीं जुटा पाए.


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आखिरी दिन 24 जून को अतुल ने रकम का इंतजाम किया और ऑनलाइन फीस भरने लगा तो सर्वर डाउन हो गया. इसकी वजह से वह फीस का भुगतान नहीं कर पाया. जिसकी वजह से अतुल का एडमिशन रुक गया. एडमिशन नहीं होने पर उसने कानून सहारा लिया और आज सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी धनबाद को प्रवेश देने का निर्देश दिया.

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