दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से एलएलबी में प्रवेश पाने के इच्छुक स्टूडेंट्स की याचिका पर जवाब मांगा है. छात्रों का दावा है कि प्रवेश प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद अभी भी एलएलबी की सीटें खाली हैं. जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है. मामले को 5 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. याचिकाकर्ता सुमित कुमार सिंह और अनन्य राठौर ने अधिवक्ता शक्ति पांडे और गौरव अरोड़ा के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. उन्होंने विश्वविद्यालय को एलएलबी कार्यक्रम में खाली सीटों को भरने का निर्देश देने की मांग की है.
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योग्य होने के बावजूद स्टूडेंट्स को नहीं मिला एडमिशन
उन्होंने यह भी निर्देश मांगा है कि याचिका के लंबित रहने के दौरान विश्वविद्यालय उनके लिए दो सीटें आरक्षित रखे. याचिका में कहा गया है कि दोनों छात्र मेधावी उम्मीदवार हैं जो 13 मार्च 2024 को एनटीए द्वारा आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी पीजी 2024) में शामिल हुए थे और उन्होंने जनरल कैटेगरी में 176 अंक हासिल किए है. आरोप है कि लॉ फैकल्टी के तीनों लॉ सेंटरों में कटऑफ मानदंड पूरा करने और खाली सीटों की उपलब्धता के बावजूद याचिकाकर्ताओं को एडमिशन नहीं दिया गया.
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मनमाने ढंग से एडमिशन प्रक्रिया से किया गया बाहर
दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्पॉट एडमिशन के चार राउंड आयोजित किए, जिसमें अंतिम राउंड (राउंड- IV) में कैंपस लॉ सेंटर के लिए कटऑफ 177 और लॉ सेंटर I और लॉ सेंटर II के लिए 176 थी. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने 176 अंकों के साथ लॉ सेंटर I और लॉ सेंटर II के लिए स्पष्ट रूप से कटऑफ हासिल की थी, फिर भी उन्हें मनमाने ढंग से प्रवेश प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया और सीटें नहीं दी गईं.
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