भारत में बेटा-बेटी अगर डॉक्टर, इंजीनियर बन जाएं तो लोगों का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है. यहां इंजीनियर बनना सिर्फ एक नौकरी नहीं बल्कि एक प्रतिष्ठा है. हालांकि, भारत में इंजीनियरिंग जॉब्स का हाल अच्छा नहीं है. जिस संख्या में छात्र पास आउट होते हैं, उस संख्या में उन्हें नौकरी नहीं मिलती. इसी का खुलासा करते हुए एक रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
45% स्नातक ही इंडस्ट्री के मानकों पर खरे उतरते हैं - रिपोर्ट
हाल में टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में इंजीनियरिंग लंबे समय से देश के विकास का आधार रहा है, जबकि बदलती तकनीक के कारण रोजगार में गिरावट आई है. यह खतरनाक है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में देश भर से कुल 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट पास आउट होंगे. इन 15 लाख में से केवल 10 फीसदी को ही जॉब मिल पाएगी. देश में इंजीनियरिंग स्नातकों की रोजगार क्षमता 60% से अधिक है, लेकिन सिर्फ 45% स्नातक ही इंडस्ट्री के मानकों पर खरे उतरते हैं और मात्र 10 प्रतिशत को ही नौकरी मिलने की उम्मीद होती है.
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डिजिटल कौशल की डिमांड सप्लाई में बढ़ेगा अंतर
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (Nasscom) का अनुमान है कि भारत के तकनीकी क्षेत्र को अगले 2-3 सालों में एआई और अन्य उन्नत तकनीकों में एक मिलियन से अधिक इंजीनियरों की जरूरत होगी. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि 2028 तक डिजिटल कौशल की डिमांड सप्लाई में अंतर 25 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगा. एआई, इलेक्ट्रिक वाहनों, सेमीकंडक्टर्स और बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के कारण यह अंतर और बढ़ सकता है. आपको बता दें, हाल के सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक व्हीकल और सेमीकंडक्टर जैसी इंडस्ट्री ने स्पेशलाइजेशन की मांग को बढ़ा दिया है.
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