Army Day 2023: भारत में क्यों मनाया जाता है सेना दिवस, के एम करियप्पा से क्या है कनेक्शन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 15, 2023, 08:56 AM IST

Indian Army (Photo Credit ADG PI Indian Army)

Indian Army Day: भारत की सेना के फील्ड मार्शल रहे के एम करियप्पा को याद करते हुए इंडियन आर्मी आज अपना 75वां सेना दिवस मना रहा है.

डीएनए हिंदी: आज इंडियन आर्मी 75वां भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) मना रही है. इस मौके पर देशभर में आर्मी के दफ्तरों, कैंप और छावनियों में परेड का आयोजन किया जा रहा है. सेना दिवस (Army Day 2023) की पूर्व संध्या पर शनिवार को तीनों सेनाओं के चीफ ने नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) जाकर देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनकी वीरता को नमन किया. सेना दिवस के बारे में सबसे अहम सवाल यह उठता है यह क्यों मनाया जाता है? इसके अलावा, दूसरा सवाल यह भी बनता है कि हर साल इसे 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है. आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं.

क्यों मनाया जाता है सेना दिवस?
भारतीय सेना अपना सेना दिवस फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के सम्मान में मनाती है. साथ ही, इसी दिन देश के वीर जवानों और युवा सैनिकों के बलिदान को भी याद किया जाता है. इस मौके पर देश के सभी आर्मी सेंटर, हेडक्वार्टर, कमांड ऑफिस और अन्य लोकेशन पर सेना दिवस परेड का आयोजन होता है. सेना दिवस का मुख्य आयोजन दिल्ली कैंट के करियप्पा परेड ग्राउंड में किया जाता है. इसी दिन सेना मेडल और वीरता पुरस्कार भी दिए जाते हैं.

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15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है सेना दिवस?
15 जनवरी 1949 को ही के एक करियप्पा भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ बने थे. यही वजह है कि इसी तारीख को सेना दिवस के रूप में चुना गया है. बाद में के एम करियप्पा देश के दूसरे फील्ड मार्शल बने. इससे पहले, सैम मानेकशॉ देश के पहले फील्ड मार्शल बने थे और युद्ध में भारतीय सेनाओं की अगुवाई की थी. देश की आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान औऱ भारत का जो युद्ध हुआ था उसमें के एम करियप्पा ने ही सेना की अगुवाई की और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी.

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भारतीय सेना ने कब-कब गाड़े कामयाबी के झंडे?
आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान को धूल चटाने में सेना सबसे आगे रही. इसके बाद साल 1962 में भारत और चीन का युद्ध हुआ. फिर 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ. पाकिस्तान के पास गोला-बारूद बहुत था लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने अद्भुत पराक्रम दिखाया. फिर 1971 में भी पाकिस्तान को धूल चटाई. 1999 में कारगिल की पहाड़ियों के रास्ते पाकिस्तान ने कोशिश की तो उसे अंदाजा भी नहीं था कि अंजाम इतना बुरा होगा क्योंकि भारतीय जवानों ने अपनी वीरता से पाकिस्तान को यहां भी पस्त कर दिया.

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