5 IITian जिन्होंने मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर पास की UPSC, आज हैं IAS-IPS

आज हम आपको उन आईआईटी ग्रेजुएट्स से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने मोटी सैलरी की जगह समाज में बदलाव लाने के लिए यूपीएससी को क्रैक करना ज्यादा बेहतर समझा...

ये 5 शख्स आईआईटी से ग्रेजुएट हैं. आकर्षक करियर को पीछे छोड़ ये सिविल सेवा के चुनौतीपूर्ण मार्ग पर चल पड़े और आईएएस और आईपीएस अधिकारी बनकर समाज में बदलाव लाने का काम कर रहे हैं.

रॉबिन बंसल

आईआईटी से ग्रेजुएट होने के बाद रॉबिन बंसल को 36 लाख रुपये प्रति वर्ष के वेतन पैकेज वाली नौकरी मिली लेकिन उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी. चार प्रयासों के बाद उन्होंने आखिरकार 135वीं रैंक हासिल करते हुए UPSC परीक्षा पास कर ली. अब रॉबिन एक IPS अधिकारी हैं.

अभिषेक सुराणा

आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद अभिषेक सुराणा ने सिंगापुर और लंदन में बार्कलेज इन्वेस्टमेंट बैंक में नौकरी हासिल की. हालांकि उन्हें लगा कि विदेश की जगह उनकी भारत में जरूरत ज्यादा है. उन्होंने खुद को यूपीएससी की तैयारी के लिए समर्पित कर दिया और सफल हुए. 10वीं रैंक हासिल करके वह आईएएस  बने और आज चुरू में जिला कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं.

रुशाली कलेर

चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक करने के बाद रुशाली कलेर ने अपनी आईएएस मां से प्रेरित होकर यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी. उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी पास कर लिया जिसमें उन्हें 492वीं रैंक मिली.

अभिजीत सिंह यादव

आईआईटी से ग्रेजुएट होने के बाद अभिजीत सिंह यादव की 35 लाख रुपये वेतन वाली कॉर्पोरेट नौकरी लगी. लेकिन उन्हें पता था कि उन्हें जीवन में कुछ और करना है. यूपीएससी में अपने दूसरे प्रयास में अभिजीत ने 440वीं रैंक हासिल की और देश की सेवा करने के लिए कॉर्पोरेट आराम के प्रलोभन को ठुकरा दिया. 

अर्थ जैन

मध्य प्रदेश के अर्थ जैन ने मात्र 24 साल की उम्र में वह कर दिखाया जिसे कई लोग असंभव मानते हैं. IIT JEE एडवांस्ड और UPSC सिविल सेवा परीक्षा दोनों में वह सफल रहे. उन्हें यूपीएससी में 16वीं रैंक मिली और आज वह आईएएस अधिकारी हैं और मध्य प्रदेश के मंडला में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात हैं.