पहले JEE फिर बिना कोचिंग क्रैक की UPSC, जानें इंजीनियर से IAS अधिकारी बनीं तेजस्वी राणा की सफलता की कहानी

आज हम आपको IAS तेजस्वी राणा से मिलवाएंगे जिन्होंने बिना कोचिंग के सिविल सेवा परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की. जानें उनकी सफलता की कहानी...

जया पाण्डेय | Updated: Oct 27, 2024, 01:18 PM IST

1

यूपीएससी की सिविल सेवा की परीक्षा को क्रैक करना काफी मुश्किल है. लाखों युवा 8-10 साल तक आईएएस-आईपीएस बनने का सपना देखते हुए इस परीक्षा की तैयारी में लगे रहते हैं. लेकिन कुछ सौ लोग ही 1 से 2 साल की तैयारी में यूपीएससी की यह कठिन परीक्षा पास कर लेते हैं और अपनी मंजिल पाकर देशसेवा में लग जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही शख्सियत से मिलाने जा रहे हैं.

2

आज हम आपको IAS तेजस्वी राणा से मिलवाएंगे जिन्होंने बिना कोचिंग के सिविल सेवा परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल की.  तेजस्वी पहली बार साल 2015 में यूपीएससी की सिविस सेवा परीक्षा में बैठी थीं. वह प्रारंभिक परीक्षा में सफल रहीं लेकिन मुख्य परीक्षा को पास नहीं कर पाईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी में जुटी रहीं.

3

अपने दूसरे प्रयास में तेजस्वी सफल रहीं और साल 2016 में 12वीं रैंक हासिल की. तेजस्वी राणा हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र की मूल निवासी हैं. वह बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहती थीं इसलिए उन्होंने 12वीं के बाद जेईई की परीक्षा दी और उनका दाखिला आईआईटी कानपुर में हुआ. यहां पढ़ाई करते हुए ही उनकी रुचि यूपीएससी की सिविल सेवा में हुई.

4

बुनियादी विषयों को कवर करने के लिए उन्होंने कक्षा 6 से 12 वीं तक की NCERT की पाठ्यपुस्तकों से तैयारी की. उन्होंने यूपीएससी के पाठ्यक्रम को ठीक से समझनेकी कोशिश की. इसके बाद उन्होंने वैकल्पिक विषय चुनने पर काफी विचार किया और अपने पढ़ाई के शेड्यूल को दुरुस्त किया. हर दिन जितना भी मौका मिला समय को गंवाए बिना दिन-रात पढ़ाई में जुटी रहीं और नोट्स बनाकर तैयारी कर रहीं. 
 

5

तैयारी के दौरान उन्होंने प्रश्नों के उत्तर लिखने का अभ्यास किया और मॉक परीक्षाएं देकर अपनी तैयारी का मूल्यांकन किया. उन्होंने खुद अपने नोट्स बनाकर तैयारी की और इस यात्रा में इंटरनेट का भी पूरा सहयोग लिया. उनके मुताबिक  यूपीएससी में सफल होने के लिए गंभीर प्रयास और ध्यान की जरूरत होती है. तेजस्वी अपने प्रयासों में दृढ़ रहने और असफलता की चिंता को छोड़कर निरंतर तैयारी में आगे बढ़ते रहने का सुझाव देती हैं.