कम उम्र में छूटा पिता का साथ, मां के सपोर्ट से 21 की उम्र में बनीं IPS, विकास दिव्यकीर्ति की फेवरेट स्टूडेंट से मिलिए

भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने का हर उम्मीदवार सपना देखता है. हालांकि बहुत कम लोग ही इसमें सफल हो पाते हैं, लेकिन दिव्या तंवर ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार यह उपलब्धि हासिल की है.

जया पाण्डेय | Updated: Nov 07, 2024, 10:53 AM IST

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दिव्या तंवर की सफलता की कहानी आपको प्रेरणा से भरने के लिए काफी है. उन्होंने पहली बार 2021 में यूपीएससी परीक्षा दी थी और मात्र 21 साल की उम्र में 438वीं ऑल इंडिया रैंक (AIR) हासिल की थी. बिना किसी कोचिंग के उन्होंने सेल्फ स्टडी के दम पर यह मुकाम हासिल किया. उन्होंने 22 साल की उम्र में दोबारा एग्जाम दिया और 2022 में अपनी रैंक में सुधार करते हुए AIR 105 हासिल की.

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​​दृष्टि आईएएस के फाउंडर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति दिव्या की उपलब्धियों की प्रशंसा करते नहीं थकते और उन्होंने दिव्या को अपने सबसे मेहनती स्टूडेंट्स में से एक माना है. हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली दिव्या ने नवोदय विद्यालय में चयनित होने से पहले अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूलों से हासिल की. साइंस से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.

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उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिलकुल भी ठीक नहीं थी. साल 2011 में उसके पिता का निधन हो गया, जिसके कारण उनका परिवार कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था लेकिन उनकी मां बबीता तंवर उनका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बनीं और उनके इस सफर में उनका भरपूर साथ दिया.

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किसी भी कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला न लेने के बावजूद दिव्या ने मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए कई ऑनलाइन संसाधनों और टेस्ट सीरीज़ का इस्तेमाल करके यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा सफलतापूर्वक पास की. मां बबीता ने दिव्या के साथ उनके तीन भाई-बहनों का पालन-पोषण भी अकेले ही किया.

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पढ़ाई-लिखाई में अव्वल होने की वजह से मां ने भी उन्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया. यूपीएससी में सिलेक्शन के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रियता हासिल हुई. उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर 225K फॉलोवर्स हैं जिसपर वह अपने व्यक्तिगत पोस्ट के साथ यूपीएससी की तैयारी से जुड़े कंटेंट भी शेयर करती रहती हैं.