नीट 2024 के नतीजे आने के बाद पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है और पेपर लीक होने पर सवाल उठने लगा है. जिसको लेकर अब मोटिवेशनल स्पीकर डॉ विवेक बिंद्रा ने अपने यूट्यूब चैनल पर अपनी रिसर्च के साथ एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने पूरे मामले को विस्तार से समझाया है.
4 जून को जब नीट का रिजल्ट आया तो 100 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र भी एम्स में एडमिशन लेने के योग्य नहीं थे क्योंकि इस बार एक-दो नहीं बल्कि 67 उम्मीदवारों ने टॉप किया था. एक ही सेंटर से 6 छात्र टॉपर थे जिससे पेपर लीक जैसे सवाल उठे थे. इस पूरे विवाद में सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों का हो रहा है. इस मामले में एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर कई सवाल उठ रहे हैं. इस मामले की असली सच्चाई क्या है ये जानने के लिए डॉ विवेक बिंद्रा ने एनटीए के अधिकारियों से भी बात की और कुछ अहम सवालों के जवाब ढूंढे.
इस NEET 2024 परीक्षा में 24 लाख छात्रों ने भाग लिया था. यह परीक्षा देशभर के 4750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, इनमें से कुछ केंद्रों पर परीक्षा के दौरान कुछ कमियां सामने आईं जैसे समय की बर्बादी, डमी उम्मीदवार और पेपर लीक आदि. जब डॉ विवेक बिंद्रा ने इस बारे में NTA अधिकारियों से खास तौर पर बात की तो उन्हें पता चला कि NTA ने खुद अब तक 40 से ज़्यादा डमी उम्मीदवारों को पकड़ा है और माफिया के खिलाफ केस भी दर्ज किया है.
NEET का रिजल्ट 14 की जगह 4 जून को क्यों आया, क्या इसके पीछे कोई साजिश है?
इस NEET रिजल्ट को लेकर एक और सवाल भी उठा कि जो रिजल्ट 14 जून को आना था, वो चुनाव रिजल्ट के दिन 10 दिन पहले क्यों घोषित किया गया? क्या इसके पीछे भी कोई साजिश थी? इस सवाल का जवाब ये है कि NTA ने कहा था कि NEET परीक्षा का रिजल्ट 14 जून या उससे पहले कभी भी आ सकता है लेकिन समझा गया कि रिजल्ट 14 जून को ही आएगा. जबकि रिजल्ट जल्दी आने की वजह सिर्फ़ इतनी है कि पूरी प्रक्रिया जल्दी खत्म हो गई, इसीलिए रिजल्ट भी जल्दी घोषित किया गया.
एक और बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में 67 छात्रों को 100% अंक कैसे मिले, जबकि पिछले साल इस परीक्षा में सिर्फ़ 2 छात्र ही टॉपर थे. इन 67 छात्रों में से 44 छात्रों को उत्तर कुंजी विसंगतियों का लाभ मिला, जिसे छात्रों ने चुनौती भी दी. लेकिन विशेषज्ञों ने चुनौती देने वाले प्रश्नों के दोनों विकल्पों को सही माना, जिसकी वजह से इतने छात्रों को ज़्यादा अंक मिले. 6 छात्रों को समय की बर्बादी के कारण क्षतिपूर्ति अंक दिए गए, जबकि 17 छात्र ऐसे थे जिन्होंने अपनी मेहनत से पूरे अंक प्राप्त किए.
1563 छात्रों को क्यों दिए गए क्षतिपूर्ति अंक?
सवाल अब उन 1563 छात्रों पर उठ रहे हैं जिन्हें परीक्षा केंद्र की गलती की वजह से क्षतिपूर्ति अंक दिए गए थे. इस पर डॉ विवेक बिंद्रा का कहना है कि छात्रों के साथ पूरा न्याय होना चाहिए, इसलिए इन 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा होनी चाहिए. हालांकि इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के पक्ष में बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि अब इन सभी 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देनी होगी. जिसके बाद इस परीक्षा के रिजल्ट और एनटीए पर उठ रहे सवाल अपने आप खत्म हो जाएंगे. अगर बाकी छात्रों के मन में इस पूरे मामले से जुड़ा कोई सवाल है तो वो एनटीए की ईमेल आईडी neet@nta.ac.in पर ईमेल करके पूछ सकते हैं . इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आप डॉ विवेक बिंद्रा का ये वीडियो भी उनके चैनल पर देख सकते हैं.
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