डीएनए हिंदी: बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की मच अवेटेड फिल्म इमरजेंसी (Emergency) का टीजर बीते दिनों रिलीज हुआ. इस फिल्म में कंगना रनौत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के किरदार में नजर आएंगी जिसकी छोड़ी सी झलक टीजर में दिखाई दी थी. इस फिल्म से कंगना का फर्स्ट लुक भी जारी कर दिया गया था जो लोगों को खूब भा रहा है. इसी बीच अब फिल्म के एक और बड़े किरदार का भी फर्स्ट लुक सामने आया है जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर शुरू हो गई है.
कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी से अनुपम खेर का फर्स्ट लुक सामने आया है. वो जय प्रकाश नारायण का रोल निभाते हुए नजर आएंगे. अनुपम खेर और कंगना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ये लुक शेयर किया है.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी और राजनेता जयप्रकाश नारायण को देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के लिए जाना जाता था और कहा जाता है कि उनके आंदोलन की वजह से इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता तक छिन गई थी.
दरअसल इंदिरा गांधी के शासन के दौरान देश महंगाई समेत मुद्दों को लेकर जूझ रहा था और लोगों के मन में इंदिरा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को लेकर गुस्सा था. उस वक्त जयप्रकाश नारायण ने सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया और उन्होंने इंदिरा गांधी को पत्र लिखा और देश के बिगड़ते हालात के बारे में बताया. उसके बाद देश के अन्य सांसदों को भी पत्र लिखा और कई इंदिरा गांधी के कई फैसलों को लोकतांत्रिक खतरा बताया. जयप्रकाश नारायण के इस पत्र से राजनीतिक जगत में हंगामा खड़ा हो गया था, क्योंकि पहली बार किसी ने इंदिरा गांधी के खिलाफ सीधे आवाज उठाई थी.
फिलहाल ये देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म में जेपी नारायण को लेकर क्या क्या दर्शकों को दिखाया जाएगा.
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कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' में इंदिरा के शासन के दौरान 'आपातकाल' को लेकर लिए गए फैसले को दिखाया जाएगा. इंदिरा गांधी के इस फैसले पर खूब बवाल हुआ था और ये अब तक के सबसे विवादित फैसले में गिना जाता है. 1971 में उनके खिलाफ जब चुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगा तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 1975 के लोकसभा चुनाव को रद्द कर दिया गया और 6 सालों का बैन लगा दिया गया.
विपक्ष ने मौके का फायदा उठाते हुए इंदिरा से इस्तीफा मांगा, उनके खिलाफ प्रदर्शन किया लेकिन झुकने के बजाए इंदिरा ने आपातकाल की घोषणा कर दी. प्रेस की आजादी पर रोक लग गई और कई बड़े फेरबदल हुए. इस फैसले से नाराज जनता ने उन्हें 1977 के चुनाव में हरा दिया था.
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