डीएनए हिंदी: Ashok Stambh Controversy: संसद के नए भवन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से उद्घाटन किए गए राष्ट्रीय प्रतीक (Ashok Stambh) को लेकर विवाद गहरा गया है. भाजपा ने इस बात का दावा किया है हाल ही में बन के तौयार हुआ राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ के प्रतिक से मिलता जुलता है. इसे लेकर विपक्ष जानबूझकर एक के बाद एक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहा है. विपक्षी सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने सरकार को घेरे में लिया है. कथित तौर 'सुंदर और नियमित रूप से आत्मविश्वासी' अशोक सिंहों को विपक्षी सदस्यों ने 'खतरनाक और आक्रामक' मुद्रा वाला बताया है. विपक्ष लगातार सरकार पर राष्ट्रीय प्रतीक को बिगाड़ने का आरोप लगाया है और तत्काल बदलाव की मांग की है.
राष्ट्रीय प्रतीक विवाद और नए अनावरण किए गए राष्ट्रीय प्रतीक के रूप को लेकर चल रही आलोचना के बीच, फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने इस मामले पर अपनी राय जाहिर की है. इस विषय पर ट्वीट करते हुए द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर ने अपनी बात रखी है.
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विवेक ने एक ट्वीट में कहा, "सेंट्रल विस्ता पर नए राष्ट्रीय प्रतीक ने एक बात साबित कर दी है कि सिर्फ एंगल बदलकर अर्बन नक्सल्स को बेवकूफ बनाया जा सकता है. विशेष रूप से लो एंगल से."
एक अलग ट्वीट में विवेक ने वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को कोट-ट्वीट करते हुए लिखा, "अर्बन नक्सलियों को बिना दांतों वाला एक खामोश शेर चाहिए. ताकि वे इसे पालतू जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकें."
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कैसा है संसद की नई इमारत पर लगने वाला अशोक स्तंभ
संसद की नई बिल्डिंग पर लगने वाला अशोक स्तंभ यानी राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज से बना है, जिसका वजन 9500 किलो है और उसकी लंबाई 6.5 मीटर है. इसके चारों ओर स्टील का एक सपोर्टिंग स्ट्रक्चर बनाया गया है, जिसका वजन करीब 6500 किलोग्राम है. यह अशोक स्तंभ जमीन से 108 फीट ऊंचा है. 100 से ज्यादा कारीगरों ने इसे करीब 9 महीने में तैयार किया है.
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की सलाह पर ब्रॉन्ज मेटल से बने राष्ट्रीय प्रतीक का शुरुआती कॉन्सेप्ट डिजाइन अहमदाबाद के हसमुख सी पटेल ने तैयार किया. इसके बाद टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और औरंगाबाद के सुनील देवरे ने क्ले और थर्मोकोल मॉडल तैयार किए. बाद में जयपुर और दिल्ली में लक्ष्मण व्यास की अगुआई में विशेषज्ञ कारीगरों ने पूरा इसे मूर्त रूप दिया.
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