कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म इमरजेंसी (Emergency) इन दिनों काफी चर्चा में है. फिल्म बीते काफी वक्त से विवादों से घिरी हुई है और इसकी रिलीज डेट भी टाल दी गई है. जहां बीते दिनों सेंट्रल फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (CBFC) ने कंगना रनौत को सर्टिफिकेट देने से इनकार किया था और उसके बाद यह मामला कोर्ट में गया था. लेकिन अब फिल्म को सर्टिफिकेट मिल गया है. हालांकि फिल्म में 13 बदलाव किए जाएंगे. इनमें से कई बदलाव सिख समूहों द्वारा आपत्तिजनक पाए गए सीन्स से जुड़े हैं, क्योंकि इनमें उनके समुदाय और आस्था को गलत तरीके से पेश किया गया है.
बोर्ड ने देशभर के सिनेमाघरों में इमरजेंसी को रिलीज करने के लिए कई कट और संशोधन की मांग की है. इसमें से एक सीन को हटाना भी शामिल है. जिसमें सिखों को बस के सामने एक गैर सिख समूह पर गोली चलाते हुए दिखाया गया है, से लेकर जरनैल सिंह भिंडरावाले के संवाद को हटाना शामिल है. जो उस समय बढ़ते अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन के अहम शख्स थे. तो चलिए नजर डालते हैं पूरी डिटेल्स पर.
यह भी पढ़ें- CBFC ने जारी किया बयान, Kangana Ranaut की Emergency को इस शर्त पर मिलेगा सर्टिफिकेट
फिल्म में इन बदलावों की सीबीएफसी ने की मांग
1) सिख समूहों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सीबीएफसी की रिवाइजिंग कमेटी, जिसने पूरी फिल्म की फिर से जांच की है, उन्होंने फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर जोड़ने के लिए कहा है. जिसमें कहा गया है कि फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और यह एक नाटकीय परिवर्तन है. इंडियन एक्सप्रेस के एक सूत्र के मुताबिक, पहचान न बताने की शर्त पर कहा गया है, हम चाहते हैं कि 'सीन में यह साफ हो कि यह घटनाओं का एक नाटकीय रूपांतरण है ताकि इसमें पेश की गई हर बात को पूरी तरह से सच ना माना जाए'.
2) फिल्म के पहले 10 मिनट में एक सीन है, जिसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि चीन ने असम को भारत से अलग कर दिया है. बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से इस जानकारी का फैक्चुअल सोर्स दिखाने के लिए कहा है. सूत्र ने पोर्टल को बताया, सीबीएफसी की रिवाइजिंग कमेटी में इतिहासकार हैं और उन्हें याद नहीं है कि ऐसा कभी हुआ है.
3) 1 घंटे 52 मिनट पर, भिंडरावाले को संजय गांधी से यह कहते हुए सुना गया है कि, ''थुवाडी पार्टी नु वोट चाइदे ने, ते सानू चाहिदा खालिस्तान(आपकी पार्टी को वोट चाहिए, हमें खालिस्तान चाहिए). सीबीएफसी चाहते हैं कि इस संवाद को हटा दिया जाए, क्योंकि इससे पता चलता है कि भिंडरावाले संजय गांधी के साथ सौदा कर रहा था. फिल्म निर्माताओं ने इस दावे का समर्थन करने के लिए फैक्चुअल सोर्स देने के लिए कहा है.
4) बोर्ड ने सुझाव दिया है कि कम से कम तीन सीन से संत शब्द और भिंडरावाले का नाम हटाया जाए, जहां भिंडरावाले का सीन फ्रेम में नहीं है, लेकिन बाकी ऐतिहासिक हस्तियों के बीच बातचीत में चर्चा की जा रही है. बोर्ड चाहते हैं कि इसे उस सीन से हटाया जाए, जिसमें संजय गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बीच बातचीत दिखाई गई है और एक सीन में इंदिरा गांधी और सेना प्रमुख के बीच बातचीत दिखाई गई है.
यह भी पढ़ें- Emergency को लेकर मुश्किल में फंसीं Kangana Ranaut, चंडीगढ़ कोर्ट ने तलब की मंडी सांसद, जानें पूरा मामला
5) बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से फिल्म के 2 घंटे 11वें मिनट के एक सीन में सिखों द्वारा गैर सिखों पर की गई हिंसा को कम करने के लिए कहा है. उन्होंने एक और सीन को भी हटाने की रिक्वेस्ट की है, जिसमें सिखों को बस के सामने गैर सिखों पर गोली चलाते हुए दिखाया गया है. ये सीन उन सिख समूहों द्वारा आपत्तिजनक पाए गए हैं, जिन्होंने फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी.
6) लगभग 2 घंटे की इस फिल्म में इंदिरा गांधी और आर्मी चीफ के प्रमुख को ऑपरेशन ब्लूस्टार पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है. संवाद में एक लाइन है, जिसमें कहा गया है कि ऑपरेशन अर्जुन दिवस पर शुरू होना था, जिसमें गुरु अर्जुन देव की शहादत की सालगिरह के बारे में बताया गया है. यह दिन पांचवें सिख गुरु की शहादत की सालगिरह का दिन है, जिन्होंने हरमंदिर साहिब का निर्माण किया था. सीबीएफसी ने फिल्म निर्माताओं से अर्जुन दिवस की चर्चा को हटाने को कहा है, जिसमें कहा गया है कि सिख धार्मिक परंपराओं में ऐसा कोई शब्द मौजूद नहीं है.
7)बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से कहा कि वे फिल्म में इस्तेमाल किए जा रहे रियल फुटेज के स्थान पर, जहां भी लागू हों, स्टेटिक मैसेज डालें.
8)फिल्म निर्माताओं को फिल्म में जिक्र किए गए सभी आंकड़ों, बयानों और संदर्भों के लिए डॉक्यूमेंट्स, प्रूफ, एविडेंस पेश करने का भी आदेश दिया है.
30 सितंबर को होगी सुनवाई
गुरुवार को जी एंटरटेनमेंट को रिप्रेजेंट करने वाले वकील ने प्रस्तावित कट्स और बदलावों को स्वीकार करने के बारे में निर्देश लेने के लिए समय मांगा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अब फिल्म निर्माताओं के पास सिर्फ तीन ऑप्शन हैं. सीबीएफसी द्वारा सुझाए गए सभी बदलावों को मानें और उसे लागू करें. कुछ बदलाव करना और कुछ को चुनौती देना या सीबीएफसी के फैसले को अदालत में चुनौती देना. मामले की अगले सुनवाई 30 सितंबर को होगी.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.