डीएनए हिंदी: Gulzar Birthday: दिल को छू लेने वाली नज्में और गानों से इंडस्ट्री में मशहूर हुए गुलजार (Gulzar) आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं. गुलजार साहब को बचपन से ही लिखने का शौक था. उनकी हर कविता और गीत में एक अलग ही नशा होता है जो सबके दिल को छू जाता है. गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत 60 के दशक में फिल्म 'बंदिनी' से गीतकार के तौर पर की थी. वह अब तक हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक गाने दे चुके हैं. गुलजार का मुकाबला आज तक कोई नहीं कर पाया क्योंकि वह सेंसिबल गानों से लेकर 'कजरारे कजरारे' जैसे आइटम सॉन्ग के लिए लिरिक्स लिख चुके हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि गुलजार कभी गैरेज में कार मैकेनिक का काम करते थे और अपने खाली समय में कविताएं लिखते थे. गुलजार के जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातों को...
'मेरे अपने' से की थी 'डायरेक्शन' की शुरुआत
1971 में 'मेरे अपने' से अपने निर्देशन की शुरुआत से गुलजार यह स्पष्ट कर देना चाहते थे कि वे हिंदी सिनेमा में क्या बनाना चाहते हैं. उन्होंने साहित्य की कठोर सुंदरता से प्रेरित यथार्थवादी सिनेमा बनाया. 'मेरे अपने' को हालांकि, तपन सिन्हा की बंगाली फिल्म अपंजन का रीमेक कहा गया था. इस फिल्म में दिवंगत और दिग्गज मीना कुमारी ने एक बूढ़ी विधवा की भूमिका निभाई. इंदिरा मित्रा और गुलजार की तरफ से लिखी गई फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं. मेरे अपने को बॉक्स ऑफिस पर पहचान मिली और गुलजार को एक ऐसे निर्देशक के रूप में पहचाना गया, जिसमें अपार क्षमता थी, जिसे उन्होंने अपनी आगे की फिल्मों में साबित कर के दिखाया.
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गुलजार की इस फिल्म में नहीं था कोई गाना
'मेरे अपने' के बाद गुलजार ने तीन फिल्मों का निर्देशन किया. इसमें - 'अचानक', 'परिचय' और 'कोशिश' जैसी फिल्में शामिल हैं. मेरे अपने के बाद विनोद खन्ना ने एक बार फिर 'अचानक' में गुलजार के साथ किया, जहां उन्होंने एक विश्वसनीय प्रदर्शन दिया. 'अचानक' गुलजार की फिल्मोग्राफी में एक अनोखी फिल्म है क्योंकि इसमें कोई गाना नहीं है.
फिल्मों में खूब प्रयोग करते हैं गुलजार
गुलजार की एक और ताकत है कि वह फिल्मों में प्रयोग करते हैं. उन्होंने विभिन्न शैलियों की फिल्में बनाई जिसमें 'परिचय', 'कोशिश', 'अंगूर', 'आंधी' और 'माचिस' शामिल हैं. गुलजार के फिल्मों में हर फिल्म की अपनी अलग आवाज और पहचान थी. उदाहरण के लिए, 'परिचय' को हॉलीवुड के प्रसिद्ध साउंड ऑफ म्यूजिक (1965) से प्रेरित कहा जाता है जो कथित तौर पर बंगाली उपन्यास रंगीन उत्तरायण पर आधारित है, इस फिल्म को आज भी एक क्लासिक फैमिली एंटरटेनमेंट के तौर पर माना जाता है. इसमें भारी इमोशन को कॉमेडी के साथ जोड़ा गया था. परिचय के माध्यम से, गुलजार ने साबित किया कि फ्रेश कंटेंट को हमेशा लोग पसंद करते हैं.
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गुलजार के क्रिएशन में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन की 1975 आई फिल्म 'आंधी' है. कथित तौर पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की जिंदगी से रिलेट किए जाने वाली पॉलिटिकल ड्रामा की काफी चर्चा रही. बाद में यह कहा गया कि फिल्म के लिए केवल सेन का लुक गांधी और बिहार के राजनेता तारकेश्वरी सिन्हा से प्रेरित था. इस फिल्म को रिलीज होने के तुरंत बाद ही बैन कर दिया गया था. क्योंकि इंदिरा गांधी उस समय प्रधानमंत्री थी. आंधी सुचित्रा सेन की आखिरी फिल्म थी, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से शोबिज छोड़ दिया.
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