आमिर खान (Aamir Khan) के बेटे जुनैद खान (Junaid Khan), जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) के साथ यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म महाराज (Maharaj) से अपने करियर की शुरुआत करने जा रहे थे. हालांकि फिल्म की रिलीज को गुजरात हाई कोर्ट ने रोक दिया है, क्योंकि विश्व हिंदू परिषद ने अदालत में अपील की थी और फिल्म पर बैन लगाने की मांग की थी और यह भी कहा था कि इस फिल्म के चलते उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. फिल्म में जुनैद ने पत्रकार करसनदास मुलजी की भूमिका अदा की है. वहीं, जयदीप अहलावत ने पुष्टिमार्ग संप्रदाय के प्रमुख जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज की भूमिका निभाई हैं. तो चलिए जानते हैं कि कौन थे वो महाराज जिनके ऊपर तैयार की गई फिल्म महाराज को लेकर बवाल हो रहा है.
जदुनाथजी बृजरतनजी पुष्टिमार्ग संप्रदाय के हेड थे, जिन्होंने जर्नलिस्ट करसनदास मुलजी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. जिसके बाद यह मुकदमा लंबे वक्त तक चला. साल 1861 में एक जर्नलिस्ट और समाज सुधारक मुलजी, जो खुद पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायी थे. उन्होंने कई आर्टिकल के माध्यम से पुष्टिमार्ग वैष्णव संप्रदाय के भीतर हो रही घटनाओं, खासतौर पर धार्मिक नेताओं, जिन्हें महाराज कहा जाता है,उनके काले सच को उजागर किया.
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जदुनाथजी और पुष्टिमार्ग के नेताओं पर लगा था आरोप
उन्होंने आर्टिकल में संप्रदाय के नेता पर धार्मिक अनुष्ठानों की आड़ में महिला भक्तों के साथ यौन संबंध समेत अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. मुलजी द्वारा प्रकाशित किए गए आर्टिकल में पुष्टिमार्ग संप्रदाय के नेता और जदुनाथजी पर आरोप लगाया था कि इन नेताओं के पुरुष अनुयायियों से अपेक्षा की गई थी कि वे अपनी पत्नियों को उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए पेश करें और अपनी भक्ति दिखाएं.
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जदुनाथजी बृजरतनजी ने किया था मानहानि का मुकदमा
इसके बाद जदुनाथजी बृजरतनजी ने मुलजी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. कार्यवाही के दौरान कई गवाहों ने गवाही दी,जिसमें शिकायतकर्ता भी शामिल थे. आखिर में मुलजी के खिलाफ मानहानि के आरोप खारिज कर दिए गए. 1862 के द लिबेल केस के ऐतिहासिक फैसले में जदुनाथजी महाराज को मुलजी को 11,500 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था.
जानें पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय के बारे में
बता दें कि पुष्टिमार्ग को वल्लभ संप्रदाय के नाम से भी जाना जाता है, जो कि वैष्णववाद का एक संप्रदाय है. इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी की शुरुआत में वल्लभ द्वारा की गई थी और बाद में उनके वंशजों, विशेष रूप से विट्ठलनाथ द्वारा इसका विस्तार किया गया था. पुष्टिमार्ग के अनुयायी कृष्ण की भक्ति करते हैं, जो कि भगवान और गोवर्धन पहाड़ की लीलाओं से जुड़ी है.
द लिबेल केस के बाद पुष्टिमार्ग संप्रदाय की प्रतिष्ठा हुई थी बर्बाद
पोकॉक के मुताबिक 19वीं शताब्दी के दौरान पुष्टिमार्ग संप्रदाय अपने हाईएस्ट स्तर पर था. हालांकि 1862 के द लिबेल केस के बाद इसकी प्रतिष्ठा पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी और 20वीं शताब्दी के आखिर तक पश्चिमी विद्वानों के द्वारा इस संप्रदाय को निगेटिव रूप से देखा जाता था. 20वीं सदी में गुजराती प्रवासी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिय और न्यूजीलैंड में पुष्टिमार्ग केंद्रों की स्थापना की गई थी.
जानें क्या है महाराज फिल्म में
महाराज फिल्म को लेकर बात करें, तो इसका निर्देशन पी मल्होत्रा के द्वारा किया गया है. महाराज 1862 के द लिबेल केस की सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें जुनैद खान, जयदीप अहलावत और शालिनी पांडे अहम भूमिका में नजर आई हैं. फिल्म की रिलीज डेट पर 18 जून तक के लिए रोक लगा दी है और तत्काल सुनवाई के लिए यशराज फिल्म्स की याचिका को भी गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म और फिल्म निर्माताओं से मंगलवार की सुनवाई से पहले अपना जवाब देने को कहा है.
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