डीएनए हिंदी: लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को भारत की सुर साम्राज्ञी कहा जाता रहा है. भारतीय सिनेमा में उनसे बड़ी गायिका किसी और को नहीं माना जाता है. बड़े-बड़े संगीतकार भी एक बार उनके साथ काम करने के लिए सालों इंतजार करते रहते थे. देश में ही नहीं विदेश में भी उनकी गायिकी के लोग दीवाने थे. आज वो भले ही हमारे बीच नहीं हैं पर उनके गाए सदाबहार गानों (Lata Mangeshkar songs) की वजह से वो आज भी करोंड़ों लोगों के दिलों में जिंदा हैं.
'मेरी आवाज ही मेरी पहचान हैं' जैसा गाना गाने वाली लता मंगेशकर का जीवन भी इस गीत की मिसाल ही है. उनकी मधुर आवाज के चलते उन्हें हमेशा स्वर कोकिला कहा गया. छह दशकों से ज्यादा समय तक उन्होंने संगीत की दुनिया को अपने सुरों से सजाया. महज 13 साल की उम्र में सिंगिंग करियर शुरू करने वाली लता के ज्यादातर गाने सदाबहार रहे. लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 से भी ज्यादा गाने गाए हैं.
हालांकि लता के जीवन में संघर्ष भी कम नहीं रहे हैं. उनको लेकर एक दिलचस्प भी है जिसे जानकर सभी हैरान रह गए थे. एक समय खुद लता दीदी ने कहा था कि वो अगले जन्म में लता मंगेशकर नहीं बनना चाहती हैं. जानें क्या है पूरा किस्सा.
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दरअसल लता मंगेशकर से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि वो अगले जन्म में क्या बनना चाहेंगी, इस पर उनका जवाब था कि वो चाहे जो बनें लेकिन लता मंगेशकर तो बिल्कुल नहीं बनना चाहेंगी.
इस पर इंटरव्यूअर ने कहा- क्यों ? तो लता जी मुस्कुराते हुए कहा, 'लता मंगेशकर की जो तकलीफें हैं वो उसको ही पता है.' वैसे लता दीदी अपनी पर्सनल लाइफ को अपने तक ही रखती थीं. ऐसे में उनकी तकलीफें और परेशानियां केवल उन्हीं तक रहीं.
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भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अलग-अलग भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गा चुकीं लता मंगेशकर दादा साहब फाल्के और भारत रत्न जैसे सम्मान पा चुकी हैं. उन्होंने ऐसे कई सदाबहार गाने दिए हैं जिन्हें आजतक कोई उस अंदाज में कोई पेश नहीं कर पाया है.
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