Prithviraj Kapoor: मुगल-ए-आजम के लिए मिला था ब्लैंक चैक पर पृथ्वीराज ने ली थी इतनी फीस, जानें दिलचस्प किस्सा

सौभाग्या गुप्ता | Updated:Nov 03, 2022, 09:23 AM IST

Prithviraj Kapoor पृथ्वीराज कपूर 

Prithviraj Kapoor के समय से कपूर खानदान की रगों में एक्टिंग का हुनर दौड़ रहा है. 47 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने कई कल्ट क्लासिक फिल्में दी हैं.

डीएनए हिंदी: Prithviraj Kapoor Birthday: पृथ्वीराज कपूर को भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने भारत को पहला व्यावसायिक स्टूडियो पृथ्वी थिएटर दिया था. वो ऐसे शख्स रहे जिन्होंने पहली बोलती फिल्म आलम आरा में पहले खलनायक का रोल निभाया था. 47 साल के फिल्मी करियर में पृथ्वीराज ने कई क्लासिक फिल्में दीं, जिसके लिए उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड और पद्म भूषण से भी नवाजा गया था. उनकी जिंदगी की सबसे यादगार फिल्म मुगल-ए-आजम को भला कौन भूल सकता है. आज पृथ्वीराज कपूर के बर्थडे पर जानते हैं उनके बारे में और एतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम से जुड़े कई किस्से. 

3 नवंबर 1906 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में जन्में पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बशेश्वरनाथ कपूर पुलिस ऑफिसर थे. पृथ्वीराज कपूर जब 3 साल के थे, तब ही उनकी मां का निधन हो गया था. पेशावर में पढ़ाई पूरी करने के बाद पृथ्वीराज कपूर अपनी आंटी से उधार लेकर बॉम्बे पहुंचे. कई साइलेंट फिल्मों में काम करने के बाद पृथ्वीराज ने भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा (1931) में काम किया. यहां से उनके शानदार करियर की शुरुआत  हुई. तब से लेकर आज तक कपूर खानदान की रगों में एक्टिंग का हुनर दौड़ रहा है.

मुगल-ए-आजम के लिए मिला था ब्लैंक चैक

साल 1960 में रिलीज हुई पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और मधुबाला स्टारर फिल्म मुगल ए आजम हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है. आज भी इस फिल्म के चर्चे खूब होते हैं. तब इस फिल्म को बनाने में 1.5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे लेकिन इस फिल्म ने उस वक्त 11 करोड़ की कमाई की थी.

कहा जाता है कि जब दिग्गज डायरेक्टर के आसिफ (K Asif) मुगल-ए-आजम बना रहे थे तो वो हर हालत में पृथ्वीराज कपूर को फिल्म में लेना चाहते थे. उन्हें फिल्म में कास्ट करने के लिए आसिफ ने पृथ्वीराज को एक ब्लैंक चैक तक दे दिया था और कहा था जितनी चाहे उतनी रकम भर लो. उसूलों के पक्के पृथ्वीराज ने फिल्म के लिए जो फीस ली वो आज कई एक्टर्स के लिए प्रेरणा बन गई. पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म के लिए महज 1 रुपये फीस ली थी. इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर अपने फिल्मी कैरेक्टर में इस कदर घुस जाया करते थे कि वो खुद को भूल जाया करते थे.

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इस तरह से हुई पृथ्वी थियेटर की शुरुआत

पृथ्वीराज कपूर ने साल 1944 में पहला कमर्शियल थिएटर 'पृथ्वी' शुरू किया था. उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी इस थिएटर में लगा दी थी. जिस दौर में पृथ्वीराज ने पृथ्वी थिएटर की स्थापना की थी, उस दौर में आजादी की लड़ाई चरम पर थी. पृथ्वी थिएटर का पहला नाटक शकुंतला था. पृथ्वीराज ने अपने नाटकों के जरिए उस दौर की समस्याएं उठाईं. 

बताया जाता है कि थिएटर में शो दिखाने के बाद पृथ्वी खुद बैग लेकर दरवाजे पर खड़े हो जाते थे ताकि थिएटर से बाहर निकलते समय जो कुछ रुपये लोग उनके बैग में डालते थे, उस पैसे का इस्तेमाल वो श्रमिकों के फंड के लिए करते थे. इस फंड से वो थिएटर में काम करने वाले लोगों की मदद करते थे. ये पहला इंडस्ट्री वर्कर फंड था. 

 आर्थिक समस्या, गिरता स्वास्थ्य, ढलती उम्र जैसे कारणों के चलते 1960 के दशक में उन्होंने थिएटर बंद कर दिया. 29 मई 1972 को इस दुनिया रूपी रंगमंच को अलविदा कह दिया था. 

छोटी उम्र में ही कर ली थी शादी

पृथ्वीराज कपूर ने महज 17 साल की उम्र में 3 साल छोटी रामसरानी मेहरा से शादी कर ली थी. उनके तीन बच्चे राज कपूर, शशि कपूर और शम्‍मी कपूर ने भी बॉलीवुड में राज किया. इनके अलावा उनके दो और बच्चे हुए, लेकिन शम्मी कपूर के जन्म से पहले उनके दो बच्चों की मौत हो गई. इसके बाद उनकी एक बेटी हुई, उर्मिला सियाल.

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