RD Burman Birth Anniversary: पंचम दा और Gulzar ने हिंदी फिल्मों को दिए यादगार नगमें, आप भी सुनिए उनमें से कुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 26, 2022, 03:41 PM IST

RD Burman Gulzar and Asha Bhosle (pic courtesy: RD Burman official/Instagram)

हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री के महान संगीतकार RD Burman को लोग प्यार से पंचम दा भी कहते थे. उनकी और Gulzar की जोड़ी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक यादगार नगमें दिए हैं. ये गुलजार की कलम का जादू और पंचम दा की धुनों ने उनकी गीतों को अमर कर दिया है.

डीएनए हिंदी: एक संगीतकार, धुनों के जादूगर और फुटबॉल के दीवाने आर डी बर्मन (RD Burman) यानी राहुल देव बर्मन महान संगीतकार सचिन देव बर्मन (SD Burman) के बेटे थे. प्यार से उनको पंचम (Pancham) बुलाया जाता था. गुलजार (Gulzar) और पंचम दा की दोस्ती ने हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री को बेहतरीन नगमें दिए हैं जिनका आज भी कोई मुकाबला नहीं है. गुलजार ने सबसे ज्यादा गाने पंचम के साथ बनाए और शायद सबसे खूबसूरत गाने भी. दोनों ने हमें गानों में सिर्फ अल्फाज और संगीत ही मिलाकर नहीं दिया बल्कि उनमें एक आत्मा को बसाया है.

साल 1994 में पंचम दा सिर्फ 55 साल की उम्र में अचानक दुनिया छोड़ कर चले गए. इससे गुलजार को काफी धक्का लगा था पर गुलजार साहब के बोल और पंचम दा के संगीत का जादू आज इतने सालों बाद भी जिंदा है.  

1- मुसाफिर हूं यारों (Musafir Hoon Yaaron)

साल 1972 में आई फिल्म परिचय का गाना मुसाफिर हूं यारों गुलजार और आर डी बर्मन का एक साथ पहला गाना था. इसको किशोर कुमार न गाया था.

2- आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज है (Aapki Aankhon Mein Kuch)

1978 में आई फिल्म घर के इस गाने को किशोर कुमार (Kishore Kumar) और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने गाया था. इस फिल्म में रेखा और विनोद मेहरा लीड रोल में थे.

3- आने वाला पल जाने वाला है (Aane wala pal jaane wala hai)

1958 में आई फिल्म गोलमाल का गाना आने वाला पल जाने वाला है को किशोर कुमार ने गाया था. इस गाने को कंपोज किया था आर डी बर्मन ने और गुलजार ने इसके बोल लिखे थे. 

4- तेरे बिना जिंदगी से शिकवा तो नहीं (Tere Bina Zindagi Se koi Shikwa To Nahi)

आंधी फिल्म का ये गाना भी लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने गाया था. फिल्म 1975 में रिलीज हुई थी. 

5- याद है पंचम (Yaad Hai Pancham)

गुलजार ने पंचम के लिए एक बेहद खास नज्म लिखी थी जिसे भूपिंदर सिंह ने गाया था. 

पंचम दा को इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्रीज का ट्रेंड सेटर कहा जाता है. 60 से लेकर 90 के दशक तक पंचम दा सक्रिय रहे. इस दौर के जितने भी गीतकार हुए लगभग सभी के साथ पंचम ने काम किया लेकिन इनमें से गुलजार ऐसे गीतकार थे जिनके साथ पचंम दा को सबसे अधिक मजा आता था. जितनी मोहब्बत गुलजार के दिल में पंचम के लिए थी, उतनी मोहब्बत और अपनापन पंचम के दिल में गुलजार के लिए भी था. 

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