डीएनए हिंदी: Vinod Khanna: लाखों दिलों पर राज करने वाले विनोद खन्ना (Vinod Khanna) एक बेहतरीन कलाकार होने के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी थे. उन्होंने अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जिया. हालांकि उन्होंने अपनी फिल्मी पारी में कई उतार-चढ़ाव भी देखे. यही नहीं वो बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर भी कहे जाते थे. आज यानी 6 अक्टूबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है. इस मौके पर हम आपको बताएंगे कि आखिर विनोद खन्ना ने अपना आलीशान घर और शोहरत छोड़कर संन्यास लेने का फैसला क्यों किया था.
6 अक्टूबर 1946 को पेशावर में जन्मे विनोद खन्ना का कैंसर की वजह से 2017 में निधन हो गया था. बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई आकर बस गया. विनोद खन्ना ऐसे कलाकार थे जिन्होंने ना केवल हीरो बनकर बल्कि विलेन का रोल निभाकर भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं. उन्होंने करीब 130 फिल्मों में काम किया था. साल 1968 में सुनील दत्त ने उन्हें अपनी फिल्म ‘मन का मीत’ में विलेन के रूप में मौका दिया था. इस फिल्म में उनकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई थी.
विनोद खन्ना की फिल्म आन मिलो सजना, अमर अक्बर एंथनी, चांदनी, दयावान, हाथ की सफाई, हेरा फेरी, द बर्निंग ट्रेन हिट रहीं. इन फिल्मो के बाद उनके स्टारडम में बढ़ोतरी देखने को मिली थी.
पहली पत्नी से करते थे बेहद प्यार
विनोद खन्ना कॉलेज के दिनों में एक थिएटर ग्रुप में शामिल हो गए थे, जहां उनकी मुलाकात गीतांजलि तलेयारखान से हुई थी. गीतांजलि उस समय मॉडल बनना चाहती थीं. विनोद उनपर अपना दिल हार बैठे थे और दोनों जल्द ही एक-दूसरे को डेट करने लगे. ये वही समय था जब विनोद खन्ना को निर्माता सुनील दत्त ने देखा था, जिन्होंने उन्हें अपनी पहली फिल्म, मन का मीट की पेशकश की थी. विनोद ने 1968 में फिल्म से डेब्यू किया था और सभी का दिल जीत लिया था.
विनोद खन्ना ने करियर में सेटल होने के बाद अपनी लव लाइफ पर फोकस करने का फैसला किया और फिल्म इंडस्ट्री में दो साल बिताने के बाद साल 1971 में गीतांजलि और विनोद ने शादी कर ली. साल 1972 में, कपल के पहले बेटे यानी राहुल खन्ना का जन्म हुआ. इसके बाद 1975 में दूसरे बेटे अक्षय खन्ना का जन्म हुआ. जबरदस्त फीमेल फैन फॉलोइंग होने के बावजूद, विनोद खन्ना अपनी पत्नी और बच्चों के प्रति वफादार रहे. विनोद खन्ना पुणे के ओशो आश्रम में कई सालों तक रहे. यहीं से वो आचार्य रजनीश ओशो के साथ अमेरिका चले गए और वहां रहने के दौरान उन्होंने उनके टॉयलेट से लेकर जूठी थाली तक साफ की.
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संन्यास लेने के कारण हुआ था तलाक
विनोद खन्ना का जीवन तब सबसे खराब हो गया था जब उन्होंने ओशो के आश्रम का रुख किया था. उनकी आध्यात्मिक यात्रा ने उनके पारिवारिक जीवन को बर्बाद कर दिया था. एक बार एक इंटरव्यू में विनोद ने बताया था कि दौलत और शोहरत होने के बावजूद उन्हें हमेशा बेचैनी रहती थी. वो कुछ ऐसा खोज रहे थे जो उसे ओशो के आश्रम तक ले गया था. अपने करियर के टॉप पर होने के बावजूद वो सब छोड़ कर चले गए.
विनोद खन्ना का परिवार चाहता था कि उनकी जिंदगी में उनकी मौजूदगी रहे. उनके बेटे अपने पिता को वापस चाहते थे और सुपरस्टार की पत्नी गीतांजलि ने उन्हें ये समझाने की कोशिश की थी पर विनोद खन्ना ने अपने घर के आगे आश्रम को चुना. इससे परेशान होकर गीतांजलि ने तलाक के लिए फाइल करने दिया था और 1985 में दोनों अलग हो गए थे.
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इस कारण लिया था संन्यास
1975 में विनोद खन्ना ने जब फिल्मों को छोड़कर संन्यासी बनने का फैसला लिया तो हर कोई हैरान रह गया था. कई फिल्में निर्माता जो उनके साथ काम कर रहे थे, सकते में आ गए थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि भले ही उनके पास दौलत-शोहरत है लेकिन एक कमी से लगती है. इसी वजह से संन्यास का फैसला किया और अमेरिका में आध्यात्मिक गुरु ओशो के आश्रम चले गए. यहां वो पांच साल तक रहे. ओशो ने उन्हें स्वामी विनोद भारती नाम दिया था.
विनोद खन्ना ने बताया कि वो रजनीशपुरम (Rajneeshpuram) में एक माली का काम करते थे. इस दौरान वो ओशो का टॉयलेट तक साफ किया करते थे. आश्रम में उस दौरान लोग उन्हें 'सेक्सी संन्यासी' तक कहा करते थे.
फिर प्यार ने दी थी दस्तक
विनोद खन्ना जब अमेरिका से लौटे तो उनके पास कुछ नहीं था. अपने 43वें बर्थडे पर विनोद खन्ना की मुलाकात कविता दफ्तरी से हुई और देखते ही दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था. इसके बाद साल 1990 ने दोनों ने शादी कर ली. उनके दो बच्चे हैं. विनोद अपनी दूसरी शादी से काफी खुश थे.
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