Amrish Puri के वो 5 आइकॉनिक डायलॉग, जो आज भी दर्शकों के दिलों पर करते हैं राज

अमरीश पुरी (Amrish Puri) का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 22 जून 1932 को हुआ था. वह बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर और सबसे बड़े विलेन कहे जाते थे.

ज्योति वर्मा | Updated: Jun 22, 2024, 11:51 AM IST

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अमरीश पुरी फिल्म मिस्टर इंडिया में विलेन के रोल में नजर आए थे. इस फिल्म में उन्होंने मोगैंबो का किरदार निभाया था. फिल्म में एक्टर का डायलॉग मोगैंबो खुश हुआ, आज भी दर्शकों के दिलों पर छाया हुआ है.

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लिस्ट में दूसरी फिल्म दामिनी है. इस फिल्म अमरीश पुरी का डायलॉग- ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं, जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं, यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं. इस डायलॉग ने भी जमकर वाहवाही लूटी थी.

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साल 1992 में आई फिल्म विश्वात्मा में भी अमरीश पुरी का एक डायलॉग काफी पसंद किया गया था. फिल्म में उनका डायलॉग था- थप्पड़ तुम्हारे मुंह पर पड़ा है और निशान मेरे गाल पर पड़े हैं. 
 

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साल 1989 में रिलीज हुई अमरीश पुरी की फिल्म इलाका का डायलॉग- गलती एक बार होती है, दो बार होती है, तीसरी बार इरादा होता है. ये दमदार डायलॉग लोगों के जहन में बैठ गया था.
 

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अमरीश पुरी फिल्म दिलवाले दुल्हनिया में नजर आए थे. इस फिल्म में उनका डायलॉग जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी, लोग आज भी याद करते हैं.