डीएनए हिंदी: इन दिनों एक अपकमिंग वेब सीरीज को लेकर जबरदस्त चर्चाएं हैं. ये सीरीज आधारित है बिहार क्रिकेट असोसिएशन के रिफॉर्म के लिए काम करने वाले आदित्य वर्मा की जिंदगी पर. वहीं, दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म को बना रहे हैं मशहूर लेखक और फिल्ममेकर संजीव के झा (Sanjeev K Jha) जो 'जबरिया जोड़ी' और 'बारोट हाउस' जैसी फिल्में दे चुके हैं. वहीं, डीएनए हिंदी को दिए एक्सक्लूसिव (DNA Exclusive) इंटरव्यू में संजीव ने अपनी इस सीरीज को लेकर कई दिलचस्प खुलासे किए हैं.
क्रिकेट एसोसिएक्शन ऑफ बिहार के आदित्य वर्मा पर आधारित अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में कुछ बताएं?
'अभी चीजें काफी शुरुआती स्टेज पर हैं लेकिन हां, हम इस वेब सीरीज पर काम कर रहे हैं जो आदित्य वर्मा की जिंदगी पर आधारित होगी. लंबे समय बाद बिहार को रनजी ट्रॉफी खेलने का अधिकार मिला. साल 2000 से क्रिकेट एसोसिएशन बैन था और बिहार को रनजी ट्रॉफी खेलने की इजाजत नहीं थी. इसी जर्नी पर बनेगी ये फिल्म. अभी हम लोग स्क्रिप्टिंग स्टेज पर हैं कई ओटीटी प्लैटफॉर्म्स से भी बात चल रही है'.
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जर्नलिज्म से फिल्ममेकिंग तक का सफर कैसा रहा?
'जर्नलिज्म मैंने थोड़े समय के लिए किया है क्योंकि मैं जामिया यूनिवर्सिटी में जब पढ़ाई कर रहा था तो वहां पर दो चीजों को लेकर अलग माहौल था. जिनमें से एक जर्नलिज्म है और दूसरा सिनेमा और टेलीविजन. शुरुआती दिनों में मैंने भारतीय सिनेमा से लेकर समाज से जुड़े कई और दूसरे मुद्दों पर भी लिखा लेकिन बचपन से जो मेरी दिलचस्पी थे किस्से कहानियों को बताने को लेकर वो जर्नलिज्म पर हावी हो गई'.
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Jabriya Jodi, Barot House के अलावा टीवी शोज की भी कहानियां लिखी हैं, कैसा अनुभव रहा?
'काफी अच्छा और मोटीवेटिंग अनुभव रहा. मैंने कई नई चीजें सीखीं. प्रोड्यूसर विकास गुप्ता के शो 'प्यार तूने क्या किया', कलर्स का 'कोड रेड' मैंने इनके एपिसोड लिखे हैं. जिससे कहानियों को लेकर मेरे इंटरेस्ट को और गहरा कर दिया. इसी के बाद मैंने अपनी कुछ कहानियां लिखनी शुरू कीं जिनमें से 'जबरिया जोड़ी' एक ऐसी ही कहानी थी'.
'मैं बिहार का हूं वहां की चीजों को मैं फर्स्ट हैंड जानता हूं तो मैं वहां पर आधारित कहानी ऑथेंटिक तरीके से लिख पाया.
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इसलिए मैंने सोचा मैं 'पकडुआ शादी' पर एक कहानी बनाते हैं लेकिन मैं उसको सीरियस नोट पर लेकर नहीं आना चाहता था. मैं चाहता था एंटरटेनिंग हो लोगों को हंसाए और एक मैसेज भी देकर जाए. इस फिल्म से बड़ स्टार्स और मेकर्स जुड़े थे तो अनुभव बेहद अच्छा था. हालांकि ये किसी पहाड़ की चढ़ाई से कम नहीं होता है. पहली ही फिल्म इतनी बड़ी मिल जाए तो मेहनत और किस्मत दोनों ही है'.
'बारोट हाउस की ग्रामर बिल्कुल अलग है क्योंकि ये थिएटर नहीं बल्कि ओटीटी रिलीज थी. ये फिल्म मेरे लिए इसलिए खास है क्योंकि इससे मुझे अलग पहचान मिली लोगों का भरोसा और बढ़ा मुझ पर'.
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आपके फेवरेट बॉलीवुड एक्टर कौन हैं जिनके लिए आप कुछ खास लिखना चाहेंगे?
'मैं पूरे भारतीय सिनेमा की बात करूंगा. धनुष मेरे फेवरेट एक्टर हैं, मनोज वाजपेयी मेरे पसंदीदा हैं. इसके अलावा मुझे अभिनेता इरफान खान साहब बेहद पसदं है लेकिन बदकिस्मती से वो अब इस दुनिया में नहीं रहे. आलिया भट्ट की जब मैंने फिल्म राजी देखी तो मुझे समझ आ गया कि 3-4 साल बाद उनकी एक्टिंग में अलग ही बदलाव देखने को मिलेंगे. तापसी पन्नू भी बेहद टैलेंटेड हैं. मैं अपनी सभी कहानियों में उन्हें देखना चाहूंगा'.
'मैं इन दिनों इतिहास पर आधारित फिल्मों, बायोग्राफी पर काम कर रहा हूं. लेकिन ये वो एक्टर्स हैं जिन्हें किसी भी तरह के रोल दें वो हर रोल को शानदार अंदाज से निभा पाएंगे. सैफ अली खान को 'लंगड़ा त्यागी' करते हुए देखा तो लोग हैरान रह गए. इरफान साहब को जब 'किस्सा' फिल्म में सरदार के रोल में देखा तो मैंने उनसे पूछा कि ये कैसे? वो इस बात पर हंस पड़े थे और सभी को एक क्लिप दिखाई थी जिसे देकर हम चौंक गए थे. विद्या बालन, शेफाली शाह जैसे एक्टर्स कैमरा भूल चुकी हैं ये लोग किरदार को जीते हैं सिर्फ एक्ट नहीं करते हैं'.
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डायरेक्शन में भी किस्मत आजमाने जा रहे हैं?
'मैं लेखक उदय प्रकाश जी की एक कहानी को शॉर्ट स्टोरी में एडेप्ट करने जा रहा हूं. इसी पर काम चल रहा है. हमारी पूरी कोशिश है कि हम जितनी ताकत, ऑथेंटिसिटी और सिनेमा के जितने मापदंड होते हैं उन सभी को मिलाकर एक अच्छी सी फिल्म बनाई जा सके ताकि लिटरेचर की भी खूबसूरती भी दिखाई दे'.
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