Sunil Dutt Birth Anniversary: मंझे हुए कलाकार से लेकर राजनेता तक, ऐसी थी 'बलराज' की जिंदगी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 06, 2022, 09:41 AM IST

Sunil Dutt सुनील दत्त

सुनील दत्त की आज 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत से लेकर राजनीति में एक नया मुकाम हासिल किया. आज भी लोग उन्हें याद करते हैं.

डीएनए हिंदी: गुजरे जमाने के दिग्गज अभिनेता सुनील दत्त (Sunil Dutt) आज भले ही हमारे बीच ना हों पर उनकी फिल्मों ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ दी है. 6 जून 1929 को पश्चिमी पंजाब के खुर्द गांव जो अब पाकिस्तान में है, वहां सुनील दत्त का जन्म हुआ था. उनकी जिंदगी काफी उतार चढ़ाव से भरी रही, लेकिन अपनी महनत से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी नाम कमाया. इसके साथ ही सुनील दत्त ने राजनीति में उतरकर वहां भी नाम कमाया. देश में मनमोहन सरकार के दौरान सुनील दत्त राज्यसभा सांसद भी रहे. इसके अलावा उन्हें इसी सरकार के तहत युवा और खेल विभाग के मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया. 

सुनील दत्त का असली नाम बलराज था.एक इंटरव्यू में सुनील दत्त ने बताया था कि जब वो फिल्म इंडस्ट्री में आए तो उस समय फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़े कलाकार थे बलराज सहानी. सुनील दत्त को लगा कि बलराज सहानी के नाम के आगे उनका नाम दब जाएगा. तब उन्होंने अपना नाम बदला और बलराज से बदलकर अपना नाम सुनील रख लिया. 

सुनील दत्त के बारे में खास बात ये है कि उनसे पहले उनके परिवार में कोई भी फिल्मों में नहीं था. उनके पिता जी आर्मी में थे. एक समय में उनके परिवार का गांव में काफी दबदबा था. उनके पिता को लोग दीवान साहब कहा करते थे पर भारत पाक बंटवारे के साथ सब बदल गया. उन्होंने अपने परिवार के साथ कई महीने रिफ्यूजी कैंप में बिताए. उनके पास न पैसा था और न ही घर, इसलिए बलराज अपनी पूरी जिंदगी खुद को रिफ्यूजी ही कहते रहे. सुनील दत्त ने पहले बेस्ट बस डिपो में नौकरी की उसके बाद वो रेडियो प्रेजेंटर की नौकरी करने लगे और फिर फिल्मों आ गए. दिग्गज कलाकार ने साल 1955 में आई फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया.

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फिल्मी है सुनील और नरगिस की लव स्टोरी

साल 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ में सुनील दत्त नरगिस के साथ काम किया.इस फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर जब अचानक आग लग गई, तब सुनील ने नरगिस की जान बचाई थी. इसके बाद से दोनों की लव स्टोरी शुरू हो गई और साल 1958 में दोनों ने सीक्रेट वेडिंग कर ली.  साल 1980 में उनकी जिंदगी में दुखद मोड़ आया. नरगिस को पैंक्रियाटिक कैंसर का पता चला. इसके बाद अमेरिका के एक कैंसर केयर स्पेशलिटी अस्पताल में उनका इलाज शुरू हुआ, जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम यानी वेंटिलेटर पर रखा गया. लेकिन नरगिस कोमा में चली गईं. 4 महीने के बाद नरगिस आखिरकार होश में आ गईं.उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई पर 3 मई, 1981 को उनका निधन हो गया.

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