Singer Rashid Khan Death: सेहत ने नहीं दिया साथ, पर ताउम्र निभाते रहे संगीत का साथ

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Jan 09, 2024, 06:58 PM IST

मशहूर संगीतकार उस्ताद राशिद खान रामपुर-सहसवान घराने के थे.

Music maestro Rashid Khan: राशिद खान फ्यूजन संगीत के लिए खूब सराहे गए हैं. खास बात यह कि उन्होंने महज 11 बरस में ही संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था. और देखते-देखते राशिद खान नाम का बच्चा उस्ताद कहलाने लगा. 2006 में इन्हें पद्मश्री और 2022 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था.

डीएनए हिंदी: आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे. बरसेगा सावन झूम-झूम के, दो दिल ऐसे मिलेंगे... ये बोल कानों में बार-बार फूट रहे हैं, जब से खबर आई है कि उस्ताद राशिद खान का निधन हो गया. 55 बरस की उम्र इतनी नहीं होती कि उसकी मौत की खबर गले से उतर जाए. मन में अंदर से बार-बार आवाज उठ रही है 'आओगे जब तुम साजना...'. 
राशिद खान की पहचान सिर्फ गायक वाली नहीं रही. उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे राशिद खान फ्यूजन संगीत के लिए खूब सराहे गए हैं. खास बात यह कि उन्होंने महज 11 बरस में ही संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था. और देखते-देखते राशिद खान नाम का बच्चा उस्ताद कहलाने लगा. 2006 में इन्हें पद्मश्री और 2022 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था. संगीत की दुनिया में लोग इस नाम को बहुत इज्जत के साथ लेते रहे.

फ्यूजन संगीत

राशिद खान हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत में बड़ा नाम हो चुके थे. वे रामपुर-सहसवान घराने के थे. इस घराने की शुरुआत मेहबूब खान और उनके बेटे इनायत खान से हुई है. अपने शास्त्रीय गायन को लेकर राशिद खान खूब प्रशंसित हुए, लेकिन उनके फ्यूजन गीतों और फिल्मी गीतों को भी खूब लोकप्रियता मिली. उस्ताद राशिद खान ने 'माई नेम इज खान', 'कादम्बरी', 'मंटो' और 'मितिन माशी' के लिए गीत गाए हैं. बॉलीवुड फिल्म 'जब वी मेट' के लिए उस्ताद के गाए गीत 'आओगे जब साजना...' को आज भी लोग काफी पसंद करते हैं.

इसे भी पढ़ें : फिल्म इंडस्ट्री को बड़ा झटका, संगीत सम्राट उस्ताद राशिद खान का कैंसर से निधन

ठहरी हुई आवाज

संगीत के प्रति राशिद खान के समर्पण को ऐसे भी समझा जा सकता है कि टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक वे रोजना रियाज करते रहे. यह बात उनके करीब के लोगों ने मीडिया को बताई. मतलब ये कि तबीयत चाहे साथ न दे रही हो पर पूरी तबीयत के साथ वे संगीत का साथ निभाते रहे. ऐसे समर्पित कलाकार का अचानक यूं विदा ले लेना उनके प्रशंसक प्रोसेस ही नहीं कर पा रहे. कानों में फिर वही स्वर गूंजने लगता है ...बरसेगा सावन झूम-झूम के... पर जानता हूं कि इस सावन के झूमने में उमंग नहीं होगा... बस राशिद खान की ठहरी हुई आवाज होगी और करीना का उदास चेहरा होगा. बस कोरी कल्पना में हम गाते रहेंगे कि अंगना फूल खिले.... विदा राशिद खान, अलविदा.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.