कोई था ड्राइवर तो किसी ने बेचा लिट्टी चोखा, आज हैं बड़े स्टार

मेहनत, लगन, और सपना पूरा कर लेने की जिद आपको अर्श से फर्श तक पहुंचा सकती है.

यह बात किसी के लिए महज़ ज्ञान की बात हो सकती हैं तो वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी जिंदगी की हकीकत इसी पर टिकी है. हम आज आपको कुछ ऐसे सितारों के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में खूब संघर्ष किया है. पैसे की तंगी के बावजूद इन्होंने कभी अपने सपने से समझौता नहीं किया. 

कर्ज लेकर बेटी को घर लाए थे रवि किशन

लिस्ट में सबसे पहले बात करते हैं फिल्म स्टार रवि किशन की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब रवि किशन की बेटी दुनिया में आई तो उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि पत्नी और बेटी को डिस्चार्ज कर अस्पताल से घर ला सकें. उन्हें घर लाने के लिए रवि ने अपने खेत गिरवी रख दिए. ब्याज पर कर्ज लिया और फिर अपनी लाडली को घर लेकर आए. रवि किशन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बचपन में रामलीला में सीता बनते थे. उनके घरवालों को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था, इसलिए उनकी खूब पिटाई की जाती थी. लेकिन, क्योंकि रवि किशन एक्टिंग के दीवाने थे, इसलिए उन्होंने बचपन में ही घर छोड़ने का फैसला ले लिया था. साल 1992 में उनकी पहली भोजपुरी फिल्म आई. इसके बाद से रवि किशन ने कभी पीछे नहीं देखा.
 

एक शो से 500 रुपए कमाते थे निरहुआ

भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ भी किसी बड़े फिल्मी परिवार से नहीं थे. उनके पिता कोलकाता में एक फैक्ट्री में काम किया करते थे. अपने संघर्ष की कहानी सुनाते हुए बताया था कि शुरुआत में उन्हें एक शो के लिए 500 रुपए मिलते थे. यही निरहुआ आज दुनियाभर में मशहूर हैं.

लिट्टी चोखा बेचते थे खेसारी

भोजपुरी फिल्मों के सलमान खान खेसारी लाल यादव गांव देहात में नाच पार्टी में काम किया करते थे. वह कई कई किलोमीटर चलकर जागरण में भजन गाने भी जाते थे. कहा जाता है कि खेसारी ने पेट पालने के लिए लिट्टी चोखा भी बेचा है.

साइकिल चलाकर शो करने जाते थे पवन सिंह

बतौर सिंगर शुरुआत करने वाले पवन सिंह धीरे-धीरे एक्टिंग की तरफ आए और हिट हो गए. आज महंगी-महंगी गाड़ियों में घूमने वाले पवन सिंह एक समय मीलों साइकिल चलाकर शो करने के लिए इधर से उधर जाया करते थे.

ड्राइवर थे अवधेष मिश्रा

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर विलेन अवधेष मिश्रा कभी ड्राइवर की नौकरी किया करते थे. कम पैसों में घर नहीं चलता था तो पत्नी भी स्कूल मे पढ़ाने का काम किया करती थीं. आज यही अवधेष आज किसी इंट्रोडक्शन के मोहताज नहीं हैं.