डीएनए हिंदी: रेहाना सुल्तान 70 के दशक में पोस्टर गर्ल के तौर पर जानी जाती थीं. रेहाना फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट की पहली स्टूडेंट थीं जिन्हें लीड एक्ट्रेस के बतौर डेब्यू करने का मौका मिला था. रेहाना को राजेंद्र सिंह बेदी ने अपनी फिल्म 'दस्तक' (1970) के लिए साइन किया था. इस फिल्म के लिए रेहाना को नेशनल अवॉर्ड मिला था. इसी साल उन्होंने फिल्म 'चेतना' भी की. इन दोनों फिल्मों की शूटिंग साथ-साथ हुई और सिर्फ 28 दिनों में ही पूरी कर ली गई.
एक तरफ जहां 'दस्तक' ने रेहाना को अवॉर्ड दिलवाया वहीं 'चेतना' ने रेहाना को सेक्सी रोल करने वाली एक्ट्रेस का टैग दिया. दरअसल ये फिल्म वैश्याओं के पुनर्वास पर आधारित थी. इस फिल्म में रेहाना के कुछ ऐसे सीन थे जिन्हें काफी बोल्ड तरीके से फिल्माया गया था. इन सीन्स का प्रचार इस तरह किया गया था कि दर्शकों के दिमाग में इस फिल्म की इमेज अडल्ट फिल्म वाली बन गई थी.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी इमेज की वजह से रेहाना को भी अपनी फिल्म की टिकट नहीं मिली थी. रेहाना ने एक इंटरव्यू में बताया, 'मैं अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखना चाहती थी और जब टिकट बुक करने काउंटर पर पहुंची तो मुझसे कहा गया कि यह एक अडल्ट फिल्म है इसलिए मुझे टिकट नहीं मिल सकती. मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई. मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वह कह रहा है कि आप तो हीरोइन हैं आपको टिकट की क्या ज़रूरत है. जब हम फिल्म देख रहे थे तो मुझे अपने बोल्ड सीन को लेकर बहुत घबराहट हो रही थी. मुझे नहीं पता था कि लोग कैसे रिएक्ट करेंगे लेकिन कोई सीटियां नहीं बजीं, कोई हंगामा नहीं हुआ. मुझे जानकर अच्छा लगा कि लोग मेरी परफॉर्मेंस की तारीफ कर रहे हैं.'
रेहाना कहती हैं, 'फिल्म मेकर्स ने हमेशा मुझे टाइप कास्ट करने की कोशिश की. मैं अलग-अलग रोल करना चाहती थी लेकिन प्रोड्यूसर्स चाहते थे कि मैं वैसे ही रोल करूं. हार-जीत (1972) एक इमोशनल फिल्म थी लेकिन फिर भी मेरा पल्लू गिरने वाले सीन के बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए. फिल्म मेकर्स केवल मेरी इमेज का फायदा उठाना चाहते थे.'