डीएनए हिंदी: भारतीय सिनेमा का 'पितामह' दादासाहेब फाल्के की डेथ एनीवर्सरी (Dadasaheb Phalke Death Anniversary) के मौके पर हर कोई उन्हें याद करता दिखाई दे रहा है. धुंडीराज गोविंद फाल्के जिन्होंने भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' को जन्म दिया था उन्हें हम आज दादा साहेब फाल्के के नाम से जानते हैं. आज 16 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनसे जुड़ी यादें शेयर करते हुए बताने जा रहे हैं कि उन्होंने अपनी पहली फिल्म कैसे बनाई थी और इस ऐतिहासिक फिल्म के लिए उनकी पत्नी ने कैसे योगदान दिया था.
जब देखी ये फिल्म
1910 में अमेरिका-इंडिया पिक्चर पैलेस में एक फिल्म दिखाई गई थी इस फिल्म के दर्शकों में से एक धुंडीराज गोविंद फाल्के भी मौजूद थे. दादा साहेब फाल्के ने यहीं से भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म बनाने का सपना देखा था. बताया जाता है जब उन्होंने फिल्म 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट' देखी थी तभी उन्होंने फिल्में बनाने का फैसला किया था लेकिन उस दौर में उनके पास ना तो पैसे थे, ना कलाकार, ना तकनीकि उपकरण और ना ही इन सबके लिए कोई इनवेस्टर. फिल्म बनाना उस वक्त नई कला मानी जाती थी और इस पर पैसा लगाने के लिए कोई तैयार नहीं था.
प्रोड्यूसर को मनाने के लिए बनाई फिल्म
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दादासाहेब ने प्रोड्यूसर को खुद पर यकीन दिलाने के लिए पौधों के विकास से जुड़ी एक शॉर्टफिल्म तैयार की थी जिसे देखकर प्रोड्यूसर इंप्रेस हो गए और पैसा देने के लिए राजी हो गए. हालांकि, प्रोड्यूसर का दिया पैसा काफी नहीं था तो दादासाहेब की पत्नी सरस्वती अपने गहने गिरवी रखने के लिए राजी हो गईं. दादासाहेब ने अपनी पहली फिल्म बनाने के लिए पूरी मेहनत की वो 1912 में फिल्म की तकनीक सीखने के लिए लंदन गए और वहीं से फिल्म शूट करने से जुड़े उपकरण भी खरीदकर लाए.
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अभिनेत्री के जगह क्यों लेना पड़ा पुरुष अभिनेता?
इसके बाद दादासाहेब फाल्के के सामने अगला चैलेंज था फिल्म में राजा हरिश्चंद्र की पत्नी तारामती के रोल के लिए महिला अभिनेत्री की तलाश करना. उस वक्त कोई महिला इस कला से जुड़ना नहीं चाहती थी. उस वक्त मराठी थिएटर में महिलाओं की भूमिका भी पुरुष ही निभाते थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वो अपनी अभिनेत्री की तलाश में रेड लाइट एरिया में गए थे लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी. वहीं, आखिर में उन्होंने एक बावर्ची अन्ना सालुंके को तारामती के रोल में ले लिया जो कि एक पुरुष एक्टर थे. फिल्म में राजा हरिश्चंद्र का किरदार दत्तात्रय दामोदर, उनके बेटे रोहित का किरदार दादा साहेब फाल्के के बेटे भालचंद्र फाल्के ने निभाया था.
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पत्नी का भी अहम योगदान
दादासाहेब फाल्के की पत्नी ने इस फिल्म के निर्माण में बेहद अहम भूमिका निभाई थी. बताया जाता है कि 500 लोगों के क्रू में अकेली वही महिला थीं और वो सभी के रहने खाना बनाने, कपड़े धोने, क्रू के सोने और रहने के साथ-साथ फिल्म प्रोडक्शन का भी सारा काम संभालती थीं. बता दें कि 19 साल के करियर में दादासाहेब ने 95 फिल्में और 27 लघु फिल्में बनाई थीं.