Gehraiyaan Review: नाम को सार्थक नहीं कर पाती Deepika की फिल्म, जानें- कहां चूक गए डायरेक्टर शकुन बत्रा

Written By Utkarsha Srivastava | Updated: Feb 11, 2022, 08:23 PM IST

Gehraiyaan

Deepika Padukone, Ananya Pandey और Siddhant Chaturvedi स्टारर फिल्म Gehraiyaan देखने से पहले जान लें इससे जुड़ी कुछ खास बातें.

निर्देशन: शकुन बत्रा

स्टार कास्ट: दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पांडे, धैर्य करवा, नसीरुद्दीन शाह, रजत कपूर

कहानी: आएशा देवित्रे ढिल्लो और शकुन बत्रा

स्क्रीनप्ले और संवाद: यश शाही, आएशा देवित्रे ढिल्लो, सुमित रॉय और शकुन बत्रा

कहां देखें: अमेज़ॉन प्राइम वीडियो

डीएनए हिंदी: 'कपूर एंड सन्स' जैसी शानदार फिल्म देने के बाद निर्देशक शकुन बत्रा अब दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पांडे और धैर्य करवा के साथ मिलकर लाए हैं फिल्म 'गहराइयां' लेकिन इस बार शकुन काफी कंफ्यूज नजर आ रहे हैं. 'गहराइयां' की कहानी शुरू होती है उलझे हुए रिश्तों से लेकिन ये फिल्म अचानक एकदम अलग ही प्लॉट पर पहुंच जाती है लव ट्राइएंगल और चीटिंग की कहानी, कॉर्पोरेट ड्रामा और क्राइम थ्रिलर में बदल जाती है. फिल्म के प्लॉट को संभाल नहीं पाने की वजह से ही दर्शक इससे जुड़ नहीं पाते हैं और फिल्म खत्म होने के बाद कोई असर छोड़ जाने में नाकाम साबित होती है.

फिल्म की कहानी

ये पूरी फिल्म अलीशा खन्ना (दीपिका पादुकोण), टिया खन्ना (अनन्या पांडे) और ज़ैन (सिद्धांत चतुर्वेदी) के इर्द गिर्द घूमती है. अलीशा और टिया कजिन बहनें हैं और दोनों की लाइफ काफी अलग है. जहां एक तरफ टिया अमेरिका में रहती है, उसके पास अलीबाग का बीच हाउस है और आलीशान यॉट भी है और सबसे अहम एक सक्सेसफुल बॉयफ्रेंड ज़ैन भी है. वहीं, दूसरी तरफ अलीशा योगा इंस्टक्टर है और अपना एक एप लॉन्च करने के लिए भी स्ट्रगल कर रही है उसका बॉयफ्रेंड करण अरोड़ा (घैर्या करवा) एक स्ट्रगलिंग राइटर है जो जॉबलेस है. जब टिया काफी समय बाद अलीशा से मिलती है तो उसे अपने बॉयफ्रेंड ज़ैन से मिलवाती है और फिर जैन- अलीशा की पहली मुलाकात से ही शुरू हो जाता है कि रिश्तों में धोखेबाजी का सिलसिला.

फिल्म की कहानी आगे बढ़ते- बढ़ते और भी कॉम्पेक्स हो जाती है जो एक हद तक दर्शकों की दिलचस्प बनाए रखती है लेकिन अचानक कहानी कुछ और ही मोड़ लेती है और कॉर्पोरेट ड्रामा और क्राइम थ्रिलर कहानी के बीच जैन की मौत हो जाती है. फिल्म के आखिर में दर्शकों के लिए एक सवाल छोड़ने की भी कोशिश की गई है लेकिन फिर भी एंडिग इंप्रेसिव नहीं हो पाती है.

 

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निर्देशन

रिलेशनशप ड्रामा को अलग- अलग जॉनर तक ले जाने की कोशिश में शकुन बत्रा एक अच्छी कहानी को शानदार तरीके से पर्दे पर उतार नहीं पाते हैं. फिल्म में ट्विस्ट अच्छे हैं, क्लाईमैक्स दिलचस्प है लेकिन शकुन किरदारों के इमोशन दर्शकों तक पहुंचाने में नाकाम होते हैं. इस फिल्म में सभी किरदारों के बजाए सिर्फ दीपिका के किरदार की ही बैकग्राउंड स्टोरी पर फोकस किया गया है और इसी वजह से बाकी सारे किरदार अधपके लगते हैं. सभी शानदार एक्टर्स को सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है. फिल्म में एडल्ट्री का एंगल रखा गया है लेकिन इसके इंटीमेट सीन्स काफी फीके लगते हैं. फिल्म के इंटीमेट डायरेक्टर डार गई का काम इंप्रेस नहीं कर पाता है.

परफॉरमेंस

दीपिका पादुकोण 'गहराइयां' की जान हैं और वो हर सीन में जी-जान लगाने की कोशिश भी करती नजर आती हैं लेकिन इसे डायरेक्टर की चूक कहें या लेखक की दीपिका के किरदार से दर्शक जुड़ नहीं पाते हैं. फिल्म में दीपिका के पिता का किरदार एक्टर नसीरुद्दीन शाह निभा रहे हैं. दो शानदार एक्टर्स को दर्शक स्क्रीन पर एक साथ बेहद कम ही देख पाए हैं और दोनों के सीन्स भी अधपके छोड़ दिए गए हैं.
एक्ट्रेस अनन्या पांडे ने इस फिल्म के लिए अपने अभिनय में काफी मेहनत की है और वो स्क्रीन पर दिख भी रही है लेकिन उनका किरदार भी उपरी तौर पर लिख कर छोड़ दिया गया है. सिद्धांत चतुर्वेदी को दीपिका के अलावा नसीरुद्दीन शाह और रजत कपूर जैसे दिग्गज एक्टर्स के साथ भी स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला है. वो काफी हद तक इंप्रेस कर पाते हैं लेकिन कई सीन्स में वो इमोशनस ठीक से दर्शाने में फीके पड़ जाते हैं. फिल्म में दीपिका के अलावा किसी भी किरदार की बैकग्राउंड स्टोरी पर ध्यान नहीं दिया गया है. यही फिल्म का सबसे बड़ा निगेटिव प्वाइंट है और यही कारण है कि अभिनेता धैर्य करवा कुछ खास इंप्रेस नहीं कर पाते.

 

म्यूजिक, सिनेमैटोग्राफी और स्क्रीनप्ले

फिल्म का सबसे स्ट्रॉन्ग प्वाइंट इसका म्यूजिक है. फिल्म के ज्यादातर गाने लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं. इसके टाइटल ट्रैक से लेकर बैकग्राउंड स्कोर भी इंप्रेसिव है. फिल्म का संगीत दिया है कबीर कथपालिया और सवेरा मेहता ने. जबकि बोल लिखे हैं कौसर मुनीर और अंकुर तिवारी ने. कौशल शाह की सिनेमेटोग्राफी भी काफी शानदार रही है. अलीबाग की खूबसूरती, समुद्र की गहराई, मुंबई की भाग-दौड़ के साथ साथ किरदारों के बीच की खामोशी को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है. फिल्म का स्क्रीनप्ले कई बार निराश करता है. इसके किरदारों को कहानी के कई तरह के एंगल में ना बिखेर कर स्क्रीनप्ले को क्रिस्प बनाया जा सकता था.

देखें या नहीं?

इस वीकेंड रिलीज हुई 'गहराइयां' भले ही आपको रिश्तों की जटिलताओं की गहराइयों में नहीं ले जा पाती है लेकिन बड़े और टैलेंटेड स्टार्स को इस फिल्म में एक साथ पर्दे पर देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है. शकुन बत्रा की अपनी अलग फिल्ममेकिंग स्टाइल है जिसे लेकर लोगों की अलग- अलग राय होती है. इस वीकेंड आप टाइमपास के लिए जरूर देख सकते हैं ये फिल्म. डीएनए हिंदी की तरफ से फिल्म को 2.5 स्टार्स.