डीएनए हिंदी: बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान (Irrfan Khan) के निधन की खबर उनके परिवार और फैंस के साथ-साथ इंडस्ट्री के लिए भी बड़ा सदमा लेकर आई थी. इस सदमे से आज तक लोग उबर नहीं पाए हैं और कई बार उनकी पुरानी तस्वीरें, वीडियोज और बातें शेयर कर इरफान खान को याद किया जाता रहा है. वहीं, हाल ही में इरफान के आखिरी दिनों का एक किस्सा सामने आया है जो वाकई दिल तोड़ देने वाला है. इस किस्से को जाने-माने फिल्ममेकर अनूप सिंह ने शेयर किया है जो इरफान के बेहद करीबी थे. उन्होंने बताया कि जिंदगी के आखिरी दिनों में अस्पताल के बेड पर लेटे हुए इरफान ने उनसे क्या बातें की थीं?
बनाने वाले थे फिल्म
अनूप सिंह के साथ इरफान खान ने दो शानदार फिल्में की थीं. ये फिल्में थीं 'किस्सा' और 'सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन'. इसके बाद दोनों ने फैसला किया था कि दोनों साथ में कई फिल्में करेंगे और तक साथ काम करेंगे जब तक 90 साल के नहीं हो जाते और उनके पास कई स्क्रिप्ट्स भी थीं लेकिन फिर इरफान खान के निधन के बाद ये वादा सिर्फ सपना बनकर रह गया. अनूप ने अपनी किताब 'इरफान खान: डायलॉग्स विद दा विंड' में इरफान के साथ अपने बॉन्ड के बारे में बताया था. ये किताब 14 फरवरी को रिलीज होनी है लेकिन स्क्रोलडॉटइन की एक रिपोर्ट में इस किताब के हवाले से इरफान के आखिरी दिनों का किस्सा बताया गया है.
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अनूप ने बताया किस्सा
इस किस्से में अनूप, इरफान को याद करते हुए बताते हैं कि किस तरह वो दर्द में मुस्कुरा रहे थे. उन्होंने बताया- 'उन्हें दर्द कम करने के लिए नर्स ने मोर्फीन का इंजेक्शन दिया था और वो अपना शरीर हिला भी नहीं पा रहे थे'. अनूप ने बताया कि अभिनेता की बांह एकदम कमजोर लग रही थी. अस्पताल में हुई मुलाकात के दौरान दोनों ने फ्यूचर फिल्में और एक सेलीब्रेटेड बॉलीवुड कंपोजर की दूसरे कंपोजर के साथ फाइट को लेकर भी बात की थी. अनूप चाहते थे कि इरफान उनकी एक फिल्म में महाभारत के द्रोणाचार्य का किरदार निभाएं. ये फिल्म द्रोणाचार्य के आखिरी दिनों पर आधारित होने वाली थी.
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इरफान ने कही थी ये बातें
अनूप बताते हैं कि इरफान ने उनसे कहा- 'एक महीने में कुछ टेस्ट करवाने के लिए मैं लंदन चला जाऊंगा. मुझे लगता है कि तुम जानते हो कि मैं कहां मरूंगा? यहां? लंदन में? और दर्द के अलावा वहां कौन होगा? क्या में नींद में गुजर जाऊंगा? क्या अजीब शब्द है. कहां गुजरना है? यहां पर पड़े हुए मैं अपने विचारों को देखने की कोशिश करता हूं वो आते हैं और चले जाते हैं. मुझे नहीं लगता कि मैं मर रहा हूं. दर्द हमेशा रह जाता है. पछतावा है, गुस्सा है, डॉक्टर, नर्स, दवाईयां और टॉयलेट की ट्रिप्स हैं लेकिन मुझे नहीं लगता मैं मर रहा हूं'. अनूप ने बताया- 'वो डरे हुए थे, हमेशा नहीं लेकिन कभी-कभी. गुस्सा भी, चिढ़ भी, दुख भी और दुखी होना सबसे बुरा है. क्या होगा और क्या हो सकता था'.