डीएनए हिंदी: भारत में आए दिनों महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं. रोजाना अखबारों की हेडलाइन से लेकर टीवी चैनलों पर और सोशल मीडिया पर हमें इस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है. इसी वजह से अब लोगों को लगने लगा है कि देश में ऐसी घटनाओं का घटित होना आम बात है इसलिए वे इसे इग्नोर कर देते हैं. पीड़ित महिला किस ट्रॉमा से गुजर रही होती है? क्यों और कैसे लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं इस पर सरकारी संस्थाओं के अलावा ही शायद ही कोई बात करता हो. आपको हम बता दें इस तरह की घटनाओं पर बारीकी से अपनी बात रखने की कोशिश की है डायरेक्टर हर्ष वर्धन ने जोकि इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म InCar की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिजी है. ये फिल्म आज यानी 3 मार्च को रिलीज हो रही है पर इस फिल्म में क्या देखने को मिलेगा और ये फिल्म की शुरुआत कैसे हुई, डीएनए हिंदी के पाठकों के ऐसे कई सवालों के साथ हमने फिल्म के डायरेक्टर हर्ष वर्धन से बातचीत की. तो आइए आपको बताते हैं फिल्म से जुड़ी वो बातें जो आपको कहीं और पढ़ने को नहीं मिलेंगी.
मुझे काफी अच्छा लग रहा है...
ये फिल्म बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि टॉलीवुड में भी रिलीज हो रही. भारतीय सिनेमा में ये मेरा पहला डेब्यू है. मुझे काफी खुशी हो रही है कल रात इंडस्ट्री में बहुत बड़ी स्क्रीनिंग थी मेरे लिए ये काफी महत्वपूर्ण क्षण था क्योंकि यहां लोग फिल्म को केवल कहानी के तौर पर ही नहीं है बाकि कई स्तर पर देखते है. फिल्म में एक्टर्स का काम कैसा है, डायलॉग, सिनेमेटोग्राफी, डायरेक्शन आदि. मुझे खुशी है कि तकनीकी रूप से स्क्रीनिंग में मुझे फिल्म के सभी जरूरी पहलुओं पर लोगों कि सकारात्म प्रतिक्रिया मिली और मैं आश्वस्त हूं कि रिलीज के दिन भी फिल्म लोगों को काफी पसंद आएगी.
ये भी पढ़े: InCar फिल्म में ग्रे कैरेक्टर में नजर आएंगे Shiksha Mandal में DSP का किरदार निभाने वाले एक्टर Sandeep Goyat
Crime Thriller है InCar फिल्म
ये फिल्म एक लड़की साक्षी (Ritika Singh) की किडनैपिंग, उसके साथ होने वाली मोलेस्टेशन और हैरेसमेंट को लेकर है. आप जानते ही हैं कि भारत में आए दिनों ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं. न्यूज में अगले दिन बस बता दिया जाता है कि एक महिला के साथ कब, कैसे इस तरह की घटना घटी. कोई भी इस बारे में बात नहीं करता कि जिन्होंने इस तरह की घटना को अंजाम दिया उनकी मानसिकता किस तरह की थी. मेरी फिल्म InCar इस मुद्दे पर भी प्रकाश डालती है क्यों हर घटना में मुजरिम का बैकग्राउंड और उनकी मानसिकता अलग होती है.
InCar ऐसी कहानी है जिस पर बात होनी चाहिए
जैसे कि मैंने आपको पहले भी बताया कि देशभर में रेप और मोलेस्टेशन जैसी घटनाएं इतनी आम हो गई हैं कि लोग अब इग्नोर करने लगे हैं. कोई भी सुबह अखबार में ऐसी कोई खबर पढ़ता है तो उनके मन में एक ही बात सबसे पहले आती है ये तो अब बहुत आम बात हो गई है. InCar के जरिए मैं चाहता हूं कि इस सब्जेक्ट पर बात होए ताकि इस तरह की घटनाओं को कम किया जा सके. देश में भले ही सनाम वारदात 100 लड़कियों के साथ हुई हो लेकर चर्चा का विषय एक दो ही बनती है मुझे इस बात से आपत्ति है. क्यों लोग बाकी की लड़कियों या पीड़ितों को दर्द नहीं समझ पा रहें? क्यो सोसायटी एजुकेट नहीं हो पा रही?
कमर्शियल हिट से ज्यादा फिल्म का सब्जेक्ट मायने रखता है ....
मैंने यूएस से अपनी फिल्ममेकिंग की डिग्री और कई सालों तक वहीं फिल्मों में हर छोटा बड़ा काम किया. जब मैं इंडिया आया उस समय 2012 में एक ऐसी घटना घटी थी जिसने मुझे ही नहीं पूरे देश को हिला दिया था. वो घटना महज एक लड़की का रेप नहीं थी, उस घटना ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थी. क्या आपको पता है उस घटना के बाद भी इस तरह की घटनाओं में कमी नहीं आई. इसलिए उस समय मैंने ये तय किया की मैं इस तरह के सब्जेक्ट पर सोसायटी में बात करूंगा अपनी फिल्म के जरिए. साथ ही बात करुंगा उन लोगों के बारें में जो ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. बस तभी से मैं इस सब्जेक्ट की रिसर्च में बिजी हो गया. रिसर्च पूरी होने पर मुझे करीब 1 साल से ज्यादा समय लग गया एक कहानी को कड़ी-दर-कड़ी सीन्स और डायलॉग्स को लिखने में, बाकी फिर शूटिंग में अलग से करीब 32 दिन लग गए.
InCar की शूटिंग में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा
जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है InCar मतलब कार के अंदर. इस फिल्म की 80-90% शूटिंग कार के अंदर ही हुई है. इस फिल्म की शूटिंग हरियाणा में पानीपत के बाहर एक हाइवे पर की है. सबसे चैलेजिंग था कहानी में किरदारों को एक जैसा लगना क्योंकि 100 मिनट की इस फिल्म में ये कहानी कार के अंदर चल रही है तो मेकअप से लेकर, लुक्स और कपड़ों का एक जैसा रहना जरूरी था इसलिए मेरे लीड एक्टर्स और एक्ट्रेस को गंदे कपड़े पहनने पड़े जो उनके लिए काफी चैलेंजिंग रहा. बाकि एक गाड़ी के अंदर फिल्म शूट करने के लिए 20 गाड़ियां अलग से चलती थी जो कैमरे के शॉट्स, लाइट्स, मास्टरफ्रेमिंग आदि सब दिखाती थी. रितिका के लिए भी एक चैलेंजिंग पार्ट ये रहा कि वो प्रोफेशनल मार्शल आर्टिस्ट है. उन्होंने साला खड़ूस में अपनी इस कला का काफी अच्छे से यूज किया था पर इस फिल्म में वो इसे यूज नहीं कर सकती थी अपने आपको किसी ऐसी चीज से रोकना जो आपकी रोजाना की आदतों का हिस्सा है मुझे लगता है काफी मुश्किल होता है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.