Javed Akhtar: पहली पत्नी को पत्ते खेलते हुए किया प्रपोज, दूसरी पत्नी Shabana Azmi को दिए गाड़ी भरकर फूल

Written By उर्वशी नौटियाल | Updated: Jan 17, 2022, 06:11 PM IST

Javed Akhtar birthday

सीता और गीता फिल्म की शूटिंग चल रही थी. जावेद साहब स्क्रीन राइटर थे और हनी इरानी एक सपोर्टिंग रोल में थीं. यह दोनों की पहली मुलाकात थी.

डीएनए हिंदी :

चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से, मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है, बस वही सबसे हसीन है
उस हाथ को तुम थाम लो, वो मेहरबां कल हो न हो..

ये खूबसूरत लाइनें Javed Akhtar की लिखी हैं. वह कलम से जितने शायराना और रोमांटिक मिजाज के हैं असल जिंदगी में भी उतने ही रोमांटिक हैं. उनके इस अंदाज की गवाह हैं उनकी लव स्टोरी. जावेद साहब को दो बार प्यार हुआ पहली बार वह हनी इरानी के प्यार की गिरफ्त में आए, शादी की और दो बच्चे भी हुए. इसके बाद उनका दिल शबाना आजमी के लिए धड़का. जीवन में थोड़ी उथल-पुथल हुई लेकिन आखिरकार प्यार की जीत हुई और जावेद साहब ने हनी से तलाक लेकर शबाना से शादी कर ली.

हनी इरानी के साथ कैसे शुरू हुई लव स्टोरी, कैसे किया प्रपोज?

सीता और गीता फिल्म की शूटिंग चल रही थी. जावेद साहब स्क्रीन राइटर थे और हनी इरानी एक सपोर्टिंग रोल में थीं. यह दोनों की पहली मुलाकात थी. धीरे-धीरे बातचीत हुई तो दोस्ती गहरी होती गई. दोनों घंटों बातें किया करते थे. फिर एक दिन प्यार का अहसास हुआ. जावेद साहब जो कलम के जादूगर हैं उन्होंने ऐसे ही एक फिल्मी सीन की तरह हनी को प्रपोज किया. 

क्या था सीन?

हनी और जावेद पत्ते खेल रहे थे लेकिन जावेद साहब हार रहे थे. इस पर हनी ने कहा कि अब वो उनके लिए कार्ड निकालेंगी तो जवाब में जावेद ने कहा, 'अगर अच्छा पत्ता निकलता है तो मैं आपसे शादू कर लूंगा'.

उस वक्त हनी 17 साल की थीं उनके पास काम की कमी नहीं थी. घर के बाहर प्रोड्यूसरों की लाइन रहती थी. सभी हनी को बतौर हीरोइन लॉन्च करना चाहते थे लेकिन हनी सिर्फ और सिर्फ जावेद साहब से शादी करना चाहती थीं. फिर क्या था दोनों ने शादी की परिवार आगे बढ़ा और फरहान अख्तर और जोया अख्तर का जन्म हुआ.

Salman Khan के पिता लेकर गए थे रिश्ता

आपको जानकर हैरानी होगी कि जावेद खुद हनी का रिश्ता मांगने उनके घर नहीं गए थे. सलमान खान के पिता Salim Khan, जावेद अख्तर का रिश्ता लेकर गए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि जावेद साहब उस वक्त ज्यादा कमाते नहीं थे. उन्हें खुद पर भरोसा नहीं आ रहा था कि अगर वो शादी की बात करेंगे तो हनी के घरवाले मानेंगे या नहीं.

शबाना आजमी से कैसे बढ़ी नजदीकियां?

हनी जी घर-परिवार की जिम्मेदारी में बिजी थीं और जावेद साहब एक के बाद एक प्रोजेक्ट्स में बिजी थे. इस दौरान उनकी मुलाकात शबाना आजमी से हुई. कभी फिल्मों की बातें तो कभी सामाजिक मुद्दों पर चर्चा. इनकी बातचीत का सिलसिला बढ़ता गया और जाने-अनजाने नजदीकियां बढ़ने लगीं अब बात दोस्ती से आगे बढ़ चुकी थी. जब प्यार की खबर शबाना के घर पहुंची तो उनके घरवाले राजी नहीं थे क्योंकि जावेद पहले से शादीशुदा थे. वहीं दूसरी तरफ जावेद के घर में भी झगड़े शुरू हो गए.

जब हनी जी को अहसास हो गया कि अब जावेद वो जावेद नहीं रहे जिनसे उन्होंने कभी प्यार किया था तो हनी ने कहा कि वह उन्हें छोड़ दें. जावेद ने ऐसा ही किया और दोनों अलग रहने लगे. हनी ने कभी भी बच्चों से जावेद या शबाना के बारे में ऐसी बात नहीं कि उनके मन में पिता या शबाना आजमी के लिए गलत भावनाएं आएं.

हनी और जावेद साहब का तलाक हुआ और आखिरकार शबाना आजमी उनकी पत्नी बनीं. यह शादी मुस्लिम रीति-रिवाजों से बहुत ही सीमित लोगों के बीच हुई. 

जावेद साहब ने कैसे किया था शबाना को इंप्रेस?

जावेद साहब के रूमानी अंदाज को याद करते हुए एक बार शबाना ने बताया था, 'हम कहीं जा रहे थे तो रास्ते में एक फूलों की दुकान मिली. मैंने एक बार जावेद को बताया था कि मुझे एक फूल बहुत पसंद है. वह फूल वहां मौजूद था तो जावेद ने वो सारे फूल खरीद लिए पूरे घर में वही फूल भर दिए.' इसके कुछ दिन बाद जब शबाना उनसे नाराज हुईं तो उन्होंने वही फूल भेजे और लिखा,

'उसी मुकाम पर कल मुझको देखकर तन्हा, बहुत उदास हुए फूल बेचने वाले' 

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