डीएनए हिंदी: हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार नौशाद अली (Naushad Ali) की आज पुण्यतिथि (Death Anniversary) है. 5 मई 2006 को 87 की उम्र में नौशाद इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गए थे. वहीं, इस आज उनके संगीत के जरिए उन्हें याद किया जा रहा है. नौशाद ने लगभग 67 फिल्मों में अपना शानदार म्यूजिक दिया था. वो बचपन से ही संगीत और फिल्मों के दीवाने थे. वो फिल्में देखने जाते थे तो वहां बैठकर नोट्स बनाया करते थे. नौशाद के घर में संगीत पर पाबंदी थी तो उन्होंने संगीत को चुना और अपना घर ही छोड़ दिया था.
17 की उम्र में घर से भाग कर आए मुंबई
नौशाद अली का अवॉर्ड विनिंग संगीतकार बनने तक का सफर आसान नहीं था. वो जब घर से भाग कर मुंबई आए थे तो सिर्फ 17 साल के थे. नौशाद कुछ दिन एक परिचित के यहां रहे लेकिन वहां झगड़े शुरू हो गए. इसके बाद उन्होंने फुटपाथ को अपना ठिकाना बना लिया. इस बीच वो हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनाने का लगातार प्रयास करते रहे. लंबे संघर्ष के बाद उस्ताद झंडे खान ने नौशाद को पहला मौका लिया था और 40 रुपए महीने की तनख्वाह देकर काम पर रख लिया था. यहां से उनका सफर शुरू हो गया और फिर नौशाद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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पहला गाना
नौशाद ने 1940 में पहली बार बतौर म्यूजिक डायरेक्टर फिल्म 'प्रेम नगर' में संगीत दिया था. इसके बाद 1954 में आई फिल्म 'बैजू बावरा' के संगीत ने नौशाद को जबरदस्त शोहरत दिलाई. इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.
शादी का किस्सा
वहीं, नौशाद की शादी से जुड़ा किस्सा भी काफी दिलचस्प है. शादी होने तक भी उनके घर वालों को नहीं पता था कि वो संगीतकार हैं. नौशाद के ससुराल वालों को बताया गया कि दूल्हा पेशे से एक टेलर है. उस दौर में संगीत को लेकर उनके परिवार में पाबंदी थी इसलिए नौशाद अपनी शोहरत के बारे में घरवालों के नहीं बता पाए. दिलचस्प बात ये भी है कि नौशाद की शादी में उनके ही कंपोज किए गए एक गाने की धुन बजाई जा रही थी लेकिन नौशाद तब भी नहीं बता पाए कि ये गाना उन्होंने ही कंपोज किया है.
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