डीएनए हिंदी: Prabha Atre Death Updates- पद्म विभूषण शास्त्रीय गायिका डॉक्टर प्रभा अत्रे का निधन हो गया है. उन्होंने शनिवार को पुणे में आखिरी सांस ली है. मशहूर किराना घराने की गुरु-शिष्य परंपरा की देन प्रभा अत्रे 91 साल की थीं. उन्हें पुणे में शनिवार सुबह सोते समय अचानक दिल का दौरा आया, जिसके बाद उन्हें दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया. प्रभा अत्रे के परिजन अमेरिका में हैं, इसलिए उनके भारत आने के बाद इनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रभा अत्रे शनिवार को मुंबई में एक प्रस्तुति देने वाली थीं, लेकिन इससे पहले ही उनका निधन हो गया है.
तीनों पद्म पुरस्कार से हो चुकी थीं सम्मानित
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में प्रभा अत्रे को उनके समकालीन मशहूर गायकों के समकक्ष माना जाता है. उन्हें तीनों पद्म सम्मान मिल चुके थे. साल 1990 में उन्हें पद्म श्री और साल 2002 में पद्म भूषण सम्मान मिला था, जबकि साल 2022 में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका था.
किराना घराने की परंपरा वाली गायिका थीं अत्रे
पुणे में 13 सितंबर, 1932 को जन्मीं प्रभा अत्रे मशहूर किराना घराने की शास्त्रीय संगीत परंपरा की गायिका थीं. उन्होंने विजय करंदीकर, सुरेशबाबू माने, हीराबाई बडोडेकर से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी. गायन के साथ-साथ उन्होंने नृत्य का भी प्रशिक्षण लिया था, जिसमें वे पर्याप्त माहिर थीं. कुछ साल तक आकाशवाणी में काम करने के बाद प्रभा अत्रे मुंबई चली गईं. मुंबई में वे पहले SNDT महिला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और बाद में संगीत विभाग की प्रमुख भी बनीं. उन्होंने संगीत पर कुल 11 किताबें लिखीं थीं.
कानून की डिग्री लेने के बाद संगीत में PHD
प्रभा अत्रे जहां शास्त्रीय गायन की माहिर थीं, वहीं वे पढ़ाई में भी उतनी ही अच्छी थीं. उन्होंने पुणे के आईएलएस लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री यानी LLB किया था. इसके बाद उन्होंने अपने संगीत के रुझान को प्राथमिकता दी और संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि (PHD) भी हासिल की. अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए उन्होंने डॉ प्रभा अत्रे फाउंडेशन की स्थापना की थी. साथ ही वे शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने के लिए स्वरमयी गुरुकुल नाम की संस्था भी चला रही थीं.
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