डीएनए हिंदी : 'लेडी विद लैम्प' यह उनका प्रचलित नाम था. फ्लोरेंस नाइटिंगेल(Florence Nightingale) का जन्म 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में हुआ था. वे बहुत अच्छी नर्स थीं, साथ ही 150 से अधिक किताब, पैम्फलेट और स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों के रिपोर्ट्स की लेखक भी थीं. कहा जाता है कि उन्होंने पाई चार्ट का सबसे शुरुआत वर्जन भी तैयार किया था. हालांकि उनकी चर्चा सबसे अधिक हॉस्पिटल को साफ़ जगह बनाने के लिए होती है.
माता-पिता के विरोध के बावजूद नर्स बनना चुना
फ्लोरेंस जब टीनएजर ही थीं उन्हें लगने लगा था कि ईश्वर ने उन्हें गरीबों और बीमारों की मदद के लिए भेजा है. हालांकि तब इस पेशे का उतना आदर नहीं था, परिवार के कड़े प्रतिरोध के बाद भी फ्लोरेंस ने नर्स बनना चुना. 33 साल की होते-होते उन्होंने नाम कमाना शुरू कर दिया था.
क्रीमियन युद्ध के वक़्त लगातार सैनिकों की सेवा में जुटी रहीं फ्लोरेंस
1854 के क्रीमियन युद्ध समय अंग्रेज़ सैनिक बड़ी मात्रा में घायल हुए थे. उस वक़्त कोई सही मेडिकल केयर उपलब्ध नहीं थी. फ्लोरेंस ने अपनी 38 नर्सों की टीम के साथ लगातार घायल सैनिकों की सेवा की. वे रात-रात भर लैम्प लेकर सैनिकों की सेवा में लगी रहतीं. उन्हें उसी वक़्त 'लेडी विद लैम्प' का उपनाम मिला. फ्लोरेंस(Florence Nightingale) की अथक सेवा की वजह से उस युद्ध में केवल 2% सैनिकों की मृत्यु हुई थी जबकि अमूमन 40% सैनिक मारे जाते थे.
International Nurses Day की शुरुआत
12 मई को इंटरनेशनल नर्सेज़ डे मनाने की शुरुआत की गई क्योंकि यह फ्लोरेंस नाइटिंगेल(Florence Nightingale) का जन्मदिन था. हर साल इस दिन को नर्सों की सेवा भावना और उनके गहन योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. इस मनाने की शुरुआत 1965 में हुई थी. इस बार 12 मई को 55वें नर्सेज डे के अतिरिक्त फ्लोरेंस के 202वीं जयंती भी मनाई जा रही है.
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