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Positive Thinking: नकारात्मक सोच बनाती है बूढ़ा, Youthfulness के लिए सकारात्मक बनें

Positive Thinking बढ़ती उम्र में कई तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलवा सकती है.

Positive Thinking: नकारात्मक सोच बनाती है बूढ़ा, Youthfulness के लिए सकारात्मक बनें
सांकेतिक चित्र

डीएनए हिंदी: कहते हैं कि इंसान जो सोचता है वह वैसा ही प्राप्त करता करता है और इसका असर उसकी दिमाग और सेहत पर भी होता है. इसलिए माना यह जाता है कि जीवन के प्रति सकारात्मक सोच(Positive Thinking) हमेशा से फायदेमंद रहती है. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि बुढ़ापे के प्रति नकारात्मक सोच आपके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है और इससे तनाव में वृद्धि होती है. अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगन के शोधकर्ताओं  ने 100 से ज्यादा दिनों तक बुजुर्गों  पर की गई स्टडी पाया कि बुढ़ापे को लेकर जिन लोगों की धारणा सकारात्मक थी, उनमें तनाव (Stress) से मुकाबला करने की क्षमता नकारात्मक धारणा वालों से ज्यादा ज्यादा थी. इस स्टडी का निष्कर्ष जर्नल्स ऑफ जेरोंटोलॉजी में भी प्रकाशित हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार

कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन साइंस (College of Public Health and Human Science) की शोधकर्ता और इस स्टडी की मुख्य संपादक डकोटा डी. विट्जेल (Dakota D. Witzel) ने सकारात्मक सोच (Positive Thoughts) पर बताया कि बुढ़ापे के बारे में सकारात्मक एहसास हेल्थ पर बेहतर प्रभाव डालता है. साथ ही तनाव पर की गई स्टडी में यह पाया गया है कि दैनिक और लंबे समय से उत्पन्न हो रहे तनाव (daily and long-term stress) का असर हेल्थ पर कई तरीकों में दिखता है. हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां इसमें शामिल है.

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स्टडी में क्या है निष्कर्ष

बता दें कि शोधकर्ताओं ने इस स्टडी में यह भी पाया कि जिन लोगों में बुढ़ापे को लेकर नकारात्मक सोच थी, उनमें तनाव भी ज्यादा था, वहीं सकारात्मक सोच वाले लोगों में बीमारियों के बहुत कम लक्षण थे. यह बात ध्यान देने योग्य है कि लोगों में जिस दिन बुढ़ापे को लेकर ज्यादा नकारात्मक भाव थे, उस दिन सामान्य दिनों की तुलना में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लक्षण तीन गुना ज्यादा थे.

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