डीएनए हिंदी: विपश्यना खुद के भीतर झांकने का एक पुरानी योग विधि है. विपश्यना का शाब्दिक अर्थ होता है विशिष्ट पश्यना. पश्यना का अर्थ देखना होता है. जैसे हम आंखों से बाहर की दुनिया देखते हैं वैसे विपश्यना से अपने अंदर झांकने की दृष्टि विकसित की जाती है.
युवाओं के बीच विपश्यना का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने 2500 वर्ष पहले इस ध्यान योग को दुनिया के लिए सुलभ बनाया था. यह खुद को जानने की एक विधि है. युवाओं के बीच विपश्यना फैशन स्टेटमेंट भी साबित हो रहा है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि विपश्यना शिविर से लौटने के बाद उन्होंने डिप्रेशन को मात दी है.
क्यों करते हैं विपश्यना?
मॉडर्न लाइफस्टाइल में अवसाद एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरा है. विपश्यना डिप्रेशन से बाहर निकलने में मददगार है. यह आत्म परिवर्तन की एक कला है. विपश्यना से मानसिक शांति मिलती है. हर उम्र के लोग विपश्यना शिविरों में जाते हैं. विपश्यना दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है.
विपश्यना शिविर में क्या होता है?
सामान्यत: विपश्यना के शिविर 10 दिनों तक के लिए चलाए जाते हैं. विपश्यना के लिए गए साधकों को अनुशासन संहिता का पालन करना होता है. आचार्य इसकी शिक्षा देते हैं. शिविर में एक खास किस्म का प्राणायाम कराया जाता है. कुछ संकल्प दिलाए जाते हैं. शिविर में रहने वाले लोगों को ध्यान करने के लिए कहा जाता है. उन्हें काफी देर तक एक ही आसन में बैठाया जाता है जिसमें लोग ध्यानरत होते हैं. विपश्यना शिविरों में साधक तनाव, चिंता और गुस्से से दूर रहते हैं.
डिजिटल डिटॉक्स पर रहते हैं साधक
विपश्यना शिविर में आहार की पवित्रता पर ध्यान दिया जाता है. साथ ही फोन, मोबाइल और टीवी जैसी सुविधाओं से साधकों को अलग रखा जाता है. 10 दिन साधक का ध्यान दुनिया पर नहीं खुद पर होता है जिसमें वे खुद को बेहतर जानने की कोशिश करते हैं.
क्या होता है विपश्यना का असर?
विपश्यना शिविर में सिर्फ 10 दिन गुजारने के बाद मानसिक शांति हासिल नहीं हो सकती है. यह एक लाइफस्टाइल है जिसे उतारने के लिए खुद प्रयास करना होता है. ध्यान और योग दोनों जीवन को बेहतर बनाने के साधन हैं. आत्मनियमन (Self Control) मानसिक स्थिति को मजबूत करता है. अगर शिविर में दी गई शिक्षाओं को शिविर से बाहर निकलने के बाद भी लोग फॉलो करें तो विपश्यना का सकारात्मक असर जीवन पर दिखता है.