काम नहीं करती बुद्धि या नहीं रहता कुछ याद, तो फटाफट करें ये उपाय फिर सबकुछ रहेगा टनाटन

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Dec 01, 2023, 01:13 PM IST

तुलसी औषधीय पौधा है और आयुर्वेद में इसे प्रत्यक्ष देवी कहा गया है.

Tulsi Significance: डॉ. अर्चना सिन्हा के मुताबिक, तुलसी से कफ और गैस की बीमारियां खत्म होती हैं. इससे शरीर में मौजूद कृमियों का भी नाश होता है. अगर बुखार हो तो इसके इस्तेमाल से पसीने छूटते हैं और बुखार खत्म होता है. आयुर्वेद में इसकी महत्ता इतनी अधिक है कि इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है.

डीएनए हिंदी : तुलसी का पौधा भारतीय समाज में पूजनीय है. हिंदू धर्म में माना गया है कि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है. इसके बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना गया है. इसके अलावा तुलसी को मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरा-भरा तुलसी का पौधा जिस घर में लगा होता है, वहां के लोगों के सौभाग्य का द्वार खोल देता है. यही वजह है कि हिंदू घरों में तुलसी की पूजा की जाती है. 
लेकिन क्या तुलसी केवल धार्मिक पौधा है या यह औषधीय पौधा भी है. जी हां, तुलसी औषधीय पौधा भी है और इस औषधीय पौधे के गुण चमत्कारी हैं. बिहार के पटना में निजी प्रैक्टिस करने वाली आयुर्वैदिक डॉक्टर अर्चना सिन्हा बताती हैं कि तुलसी के कई नाम हैं. इसे विष्णु बल्लभा, सुखबल्लरी, वृंदा वैष्णवी आदि नामों से भी जानते हैं और इसका न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि आयुर्वेद में इसकी महत्ता इतनी अधिक है कि इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है. 

तुलसी का आयुर्वैदिक महत्त्व

डॉ. अर्चना सिन्हा के मुताबिक, तुलसी का लैटिन नाम Ocimm Sanctum Linn है और अंग्रेजी में इसे Holy Basil कहते हैं. तुलसी की कई जातियां मिलती हैं जिनमें श्वेत और कृष्ण प्रमुख हैं. कृष्ण तुलसी को श्यामा तुलसी भी कहते हैं. यह गहरे हरे रंग या बैगनी रंग का होता है. डॉ. अर्चना के मुताबिक, तुलसी से कफ और गैस की बीमारियां खत्म होती हैं. इससे शरीर में मौजूद कृमियों का भी नाश होता है. अगर बुखार हो तो इसके इस्तेमाल से पसीने छूटते हैं और बुखार खत्म होता है. यही वजह है कि आयुर्वेद की भाषा में तुलसी कफवात शामक और कृमिघ्न कहा गया है, साथ ही श्वेद जनन (पसीना उत्पन्न करनेवाला) होने के कारण ज्वरघ्न भी.

डॉ. अर्चना कहती हैं कि ऐसे तो तुलसी के अनेक औषधीय उपयोग हैं. इनमें से 4 प्रमुख हैं – 
1. तुलसी की छाया शुष्क मंजरी के चूर्ण को एक-दो ग्राम की मात्रा में मधु के साथ चाटने से शिरो रोग (सिर संबंधी बीमारी) में लाभ होता है.
2. तुलसी के पांच पत्ते प्रतिदिन पानी के साथ निगलने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है.
3. काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत का दर्द दूर होता है.
4. सर्दी-खांसी में तुलसी के पत्ते (उसकी मंजरी सहित) 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम, काली मिर्च 15 ग्राम, 200 ग्राम चीनी, 500 ग्राम जल में डालकर क्वाथ यानी काढ़ा बनाकर पीने से आराम होता है.

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