जब आप बोर होने लगते हैं या ऊबने लगते हैं, तो ध्यान दिया है कि आपकी बॉडी कैसे रिएक्ट करती है? निश्चित रूप से ध्यान दिया होगा और अपने अनुभव के आधार पर आप कहेंगे कि जम्हाई यानी उबासी (Yawn) लेते हैं. लेकिन मेडिकल साइंस कहता है कि जब भी शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है तो वह ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन खींचने की कोशिश करता है, इसी प्रक्रिया का नतीजा है उबासी. साथ ही, सामान्य तौर पर एक इन्सान दिन भर में 5 से 18 बार उबासी लेता है.
उबासी को समझने के लिए हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने एथलिटों और संगीतज्ञों पर रिसर्च किया. अपने रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि ये लोग अक्सर अपने प्रदर्शन के दौरान या अपने काम पर ध्यान देने के दौरान उबासी लेते हैं. अपने रिसर्च में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने देखा कि उबासी लेने से एथलिट और संगीतज्ञों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, उनकी मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव आता है. ऐसा होने से उनके शरीर में जागरूकता का स्तर बढ़ जाता है.
इसी तरह इवोल्यूशनरी साइकलॉजी के शोधकर्ता एन्ड्रयू सी गैलप का एक लेख पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रकाशित हुआ था. उस लेख में गैलप ने बताया कि उबासी एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे दिमाग को ठंडा रहने में मदद मिलती है. गैलप बताते हैं कि इन्सान सांस के रूप में ठंडी हवा अंदर खींचता है. जब यह ठंडी हवा खून से मिलती है तो खून भी ठंडा हो जाता है. साथ ही गैलप यह भी मानते हैं कि जब इंसान के सोने का वक्त होता है या जागने के फौरन बाद का समय हो, तब उबासी ज्यादा आती है. इससे इन्सान के दिमाग और शरीर को एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाने में मदद मिलती है.
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