डीएनए हिंदी : कुछ साल पहले तक थायराइड को छुपी हुई बीमारी माना जाता था और यह भी धारणा थी कि यह बीमारी सिर्फ महिलाओं को होती है. छुपी हुई बीमारी मानने की वजह यह थी कि भारतीय समाज में महिलाएं अपनी सेहत के प्रति बेहद लापरवाह हुआ करती थीं. उन्हें घर-परिवार के लोगों की चिंता ज्यादा सताती थी, खुद की सेहत को बस नजरअंदाज करके चला करती थीं. ये बातें साहित्यकार और आयुर्वेद की डॉ. अर्चना सिन्हा ने कहीं.
उन्होंने बताया कि अब हालात बदल रहे हैं. महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने लगी हैं. और अब तो यह भी बहुत साफ है कि थायराइड सिर्फ महिलाओं में होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह समान रूप से पुरुषों में भी होती है. लेकिन अब चिंतित करने वाली बात यह है कि थायराइड की बीमारी बच्चों में भी पाई जा रही है. ऐसे में इस बीमारी के बारे में हमें जानना चाहिए कि यह आखिर है क्या. इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव के उपाय क्या हैं.
हार्मोन पैदा करने वाला ग्लैंड
डॉ. अर्चना बताती हैं कि हमारे गले में एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है. इससे हार्मोन पैदा होता है. इसी हार्मोन से दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंग सही तरीके से अपना काम कर पाते हैं. अगर ये थायराइड ग्लैंड ज्यादा हार्मोन पैदा करने लगे या कम, तो जाहिर है शरीर का बैलेंस बिगड़ जाएगा. ज्यादा हार्मोन पैदा हो या कम - दोनों ही स्थितियां शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं.
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आयोडीनयुक्त भोजन बच्चों को दें
डॉ. अर्चना के मुताबिक, बच्चों में थायराइड की समस्या जन्मजात भी हो सकती है. इस समस्या से बचने के लिए बच्चे को मां के पेट से ही सही पोषण दिया जाना जरूरी होता है. बच्चों को आयोडीन वाले भोजन दिए जाने चाहिए. आयोडीन की कमी भी थायराड की वजह बनती है. हाशिमोटो थायरोडिटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग भी थायराइड का कारण बन सकते हैं. एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम थायराइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाने लगता है, उसे ऑटोइम्यून बीमारी के रूप में जानते हैं.
बच्चों में TSH लेवल
डॉक्टरों के मुताबिक, 0 से 2 हफ्ते के बच्चे में टीएसएच का स्तर 1.6-24.3 mU/L होना चाहिए. जबकि, 2 से 4 सप्ताह के बच्चे में यह 0.58-5.57 mU/L और 20 सप्ताह से 18 साल के बच्चे में थायराइड का सामान्य स्तर 0.55-5.31 mU/L हो सकता है. ध्यान रखें, इससे ज्यादा या कम टीएसएच होने पर थायराइड की समस्या हो सकती है.
बच्चों में थायराइड के लक्षण
- शारीरिक और मानसिक ग्रोथ का कम होना.
- थकावट रहना और जल्दी-जल्दी बीमार पड़ना.
- त्वचा में सूखापन या चमक का कम होने लगना.
- हड्डियां, बाल और दांतों का कमजोर पड़ना
- कब्ज या अपच जैसी समस्या बार-बार होना.
- ज्यादा मोटा या ज्यादा दुबला होने लगना.
- आंखों में सूजन, सांस लेने में तकलीफ होना.
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थायराइड से बचाव
- जिन बच्चों को हाइपोथायरायडिज्म होता है, उनके लिए इलाज के तौर पर हार्मोंस रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाई जाती है. इसके अलावा कुछ दवाओं के जरिए भी इस बीमारी में राहत पाई जा सकती है.
- थायराइड शारीरिक ही नहीं बल्कि बच्चे के मानसिक विकास पर भी असर डालता है. इससे बचने के लिए दवा के साथ पोषण से भरपूर खान-पान पर भी ध्यान देना चाहिए.
- थायराइड रोग की पहचान के लिए बच्चे के जन्म के कुछ दिन के भीतर ही उसका टीएसएच जांच करवा लेना चाहिए.
(Disclaimer: हमारा यह लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए है. अगर बीमारी का कोई लक्षण दिखे तो किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें.)
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