डीएनए हिंदी : बचपन हर गम से बेगाना होता है - यह गीत 1975 में बनी फिल्म 'गीत गाता चल' की है. हम 2024 में आ चुके. यानी 49 बरस पहले लोग मानते थे कि बचपन हर गम से बेगाना होता है. लेकिन अब के दौर में बदली हुई जीवन शैली ने और बदले हुए पर्यावरण ने बचपन को भी बीमारियों से घेर लिया है. अजीब-अजीब और नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं. बच्चों में ऐसी ही एक बीमारी हाल के वर्षों में देखने को मिली जिसे 'लेजी आई' या एंब्लियोपिया कहते हैं.
कम उम्र में यानी बचपन में ही असामान्य विजुअल डेवलपमेंट की दिक्कत को लेजी आई कहते हैं. इसका दूसरा नाम एंब्लियोपिया भी है. हाल के शोधों से पता चला कि यह रोग जन्म के तुरंत बाद भी बच्चों में दिख सकता है.
लेजी आई या एंब्लियोपिया
बच्चों में आमतौर पर देखा जाने वाला नेत्र विकार है एंब्लियोपिया. यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है. रिसर्च बताते हैं कि विश्व स्तर पर 100 में से दो बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं. अब तो ग्रामीण भारत में भी यह बीमारी दिखने लगी है. एंब्लियोपिया में जन्म से लेकर 7 साल के उम्र के बच्चे की आंखों का विकास किसी वजह से प्रभावित होता है. ऐसी स्थिति में मस्तिष्क और आंखों के बीच तालमेल नहीं बन पाती है. नतीजतन, मस्तिष्क किसी एक आंख से दृश्यों की पहचान नहीं कर पाता है. समय के साथ, मस्तिष्क अधिक से अधिक एक आंख पर निर्भर होने लगता है. ऐसे में एक आंख से दिखना कम हो जाता है या आंखों में भेंगापन नजर आने लगता है. हालांकि सही समय पर इलाज करवाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है.
एंब्लियोपिया के लक्षण
एंब्लियोपिया जब यह एक आंख में हो, तब इसपर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता. दरअसल, दोनों आंखें खुली होने पर दृष्टि आमतौर पर सामान्य होती है. एंब्लियोपिया से पीड़ित बच्चे को यह समझने में परेशानी हो सकती है कि कोई चीज कितनी दूर या कितने पास है. अगर कोई बच्चा पढ़ते समय एक आंख बंद कर रहा है या अपना सिर झुका रहा है तो इस पर माता-पिता को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. दरअसल, यह एंब्लियोपिया के शुरुआती लक्षण हैं.
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बीमारी के लक्षण
अगर बचपन में इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो दृष्टि हानि स्थायी हो जाती है. ऐसे लोगों को जीवन भर एक आंख की कमजोर दृष्टि के साथ रहना होगा. लेकिन अगर 3 से 5 वर्ष की आयु के बीच आई टेस्ट कराया जाए तो इस समस्या को रोका जा सकता है. इसके आम लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं-
- किसी चीज या फिर वस्तु पर ध्यान न लगा पाना
- बच्चे की आंख अंदर या फिर बाहर की तरफ मुड़ी हो
- आंख के अंदर सफेद रंग का कुछ दिखाई दे
- चलते वक्त पास रखी चीजों से बार-बार टकराना
- टीवी देखते या पढ़ाई के दौरान बच्चे का सिर झुकाना
- बार-बार आंखें मींचना या मसलना
- स्क्रीन को बहुत करीब से देखना या बहुत नजदीक से किताबें पढ़ना
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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