आयुर्वेद के अनुसार बारिश के मौसम में दूध दही का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि जो चारा मवेशियों को खिलाया जाता है उस पर इन कीड़ों के होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में बच्चों की तबीयत खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
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बारिश के मौसम में पत्तेदार सब्जियों पर कीड़े अंडे देते हैं और कुछ कीटाणु भी उस पर जन्म लेते हैं. ऐसे में पत्तेदार सब्जियों से बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बारिश के मौसम में पालक मेथी बथुआ जैसे अन्य पत्तेदार सब्जियों को नहीं खाना चाहिए.
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बारिश के मौसम में टमाटर और शिमला मिर्च का सेवन भी कम कर देना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि इनसे पेट की समस्या बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही टमाटर में साल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है जो पाचन प्रक्रिया में समस्या पैदा कर सकता है.
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प्राचीन काल से सावन के महीने में बैंगन गोभी और खीरा को ना खाने की मान्यता है. इस मौसम में इन तीनों पर सबसे अधिक कीड़े पनपते हैं जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है.
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वैसे तो नॉनवेज सालभर खाया जाता है लेकिन बारिश के मौसम में इसका सेवन ध्यान से करना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि बरसात में नमी होने के कारण नॉनवेज जल्दी खराब हो जाता है और कीटाणु पनपने का खतरा बढ़ जाता है. यही कारण है कि बरसात में मछली, अंडे जल्दी खराब हो जाते हैं.