Nipah Virus: जानिए इसके, लक्षण, इलाज और बचाव करने के तरीके
अनुमान के मुताबिक, 40 से 75 फीसदी मामलों में निपाह वायरस घातक होता है.
डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 14, 2022, 03:33 PM IST
निपाह वायरस का पहला मामला 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में दर्ज किया गया था. इस वायरस के मामले भारत और बांग्लादेश समेत पूरे भारत में बढ़ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस वायरस के केवल 10% मरीजों से ही यह बीमारी फैलती है. हालांकि डॉक्टरों ने भी अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि इस वायरस को कौन से कारक प्रभावित करते हैं और कौन से नहीं.
डॉक्टर इस वायरस के अधिक लक्षणों का पता लगाने के बाद ही इसाज करते हैं क्योंकि वायरस के शुरुआती लक्षण अन्य बीमारियों के संकेत भी हो सकते हैं. आरटी-पीसीआर सहित विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का उपयोग करके वायरस का पता लगाया जा सकता है.
निपाह वायरस का प्रारंभिक चरण में पता लगाने के लिए गले या नाक के सैम्पल का उपयोग किया जाता है. वहीं बाद के चरणों में या ठीक होने के बाद एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट टेस्ट किया जाता है.