फ्रिज का पानी बहुत ठंडा होता है. गर्मी के मौसम में फ्रिज के बाहर रखा पानी बहुत गर्म हो जाता है. मटके में रखा पानी ना तो ज्यादा ठंडा होता है न ही ज्यादा गर्म. ऐसे में ये पानी गले के लिए काफी अच्छा होता है. सर्दी और खांसी होने पर भी मटके का पानी पीने से कोई परेशानी नहीं होती है.
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इंसान का शरीर एसिडिक नेचर का होता है, मिट्टी अल्कलाइन नेचर की होती है. अल्कलाइन बर्तनों का पानी हमारे शरीर की अम्लीय प्रकृति के साथ प्रतिक्रिया करता है और उचित पीएच संतुलन बनाने में मदद करता है. यही कारण है कि मटके का पानी पीने से एसिडिटी और पेट की समस्या दूर रखने में मदद मिलती है.
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गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन या सन स्ट्रोक बहुत ही आम समस्या है. मटके का पानी इसमें भी मदद करता है. मिट्टी के बर्तन में रखे पानी में पोषक तत्व होते हैं. ये शरीर में ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं. ऐसे में डिहाइड्रेशन और सन स्ट्रोक जैसी समस्या से बचाव होता है.
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फ्रिज का पानी पाचन क्रिया को भी नुकसान पहुंचाता है. इसे पीने से रक्तवहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे पाचनक्रिया में बाधा होती है. ऐसे में भोजन से जुड़े पोषक तत्व शरीर द्वारा पूरी तरह अवशोषित नहीं हो पाते हैं.
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हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. जब आप कुछ बहुत ठंडा पीते हैं तो उस चीज के तापमान के साथ संतुलन बिठाने के लिए शरीर को अत्यधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. जबकि इसी ऊर्जा का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण और पाचन क्रिया में बेहतर होता है. ऐसे में फ्रिज का ठंडा पानी पीने से शरीर को पोषक तत्व मिलने में बाधा होती है.